भोपाल। विधानसभा चुनाव की आहट भाजपा की विकास यात्रा और कांग्रेस के हाथ से हाथ जोड़ो अभियान से अब गली मोहल्लों में सुनाई देने लगी है। प्रदेश में सीधा मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही होता है। किंतु समय-समय पर तीसरे दल ने राजनीतिक ताकत के रूप में सामने आने की कोशिश की है। अब आम आदमी पार्टी ग्वालियर-चंबल अंचल के प्रवेश द्वार से प्रदेश में तीसरे राजनीतिक शक्ति के रूप में उबरने के लिये जोर अजमाइश करेगी। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी व समाजवादी पार्टी भी यह प्रयास कर चुकी हैं। किंतु प्रदेश की जनता ने तीसरे दल को नकार दिया।
बसपा व सपा नेताओं की कोशिश थी कि उत्तर प्रदेश के सीमा पर दोनों अंचल होने के कारण आसानी से यहां से मध्य प्रदेश में प्रवेश किया जा सकता है। इसी योजना के साथ दिल्ली से आप पार्टी अपनी राजनीतिक जमीन अंचल में मजबूत करने का प्रयास कर रही है। बसपा को कुछ सफलता मिली थी कि दो से ढाई दशक पूर्व बसपा ने अनुसूचित वर्ग के वोट बैंक की मदद से ग्वालियर-चंबल अंचल में अपनी राजनीतिक जमीन कुछ हद तक मजबूत करने का प्रयास किया था। दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बसपा के दस के लगभग विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। किंतु दिग्विज सिंह ने इन विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर बसपा की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। सपा ने प्रयास अवश्य किया किंतु निवाड़ी से आगे नहीं बढ़ पाई।
असंतुष्ट करते हैं तीसरे राजनीतिक दल का उपयोग
मप्र में तीसरे दल का भले ही अस्तित्व नहीं है। लेकिन चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के लिए यह नया मुकाम बन जाता है। ग्वालियर-चंबल अंचल में तीसरे दल का वर्ग विशेष प्रभाव रहता है। इसलिए भाजपा व कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर असंतुष्ट नेता इस तीसरे राजनीतिक दल की तरफ दौड़ लगाते हैं। कुल मिलाकर तीसरे दल का उपयोग अपने दल को ब्लैकमेल करने के लिये असंतुष्ट करते हैं।
आप को नजर आ रहीं काफी उम्मीदें
आप का दावा है कि अभी हाल में सदस्यता अभियान के तहत प्रदेश में बड़ी संख्या में नये सदस्य जुड़े हैं। सिंगरौली में महापौर प्रत्याशी की जीत से पार्टी अधिक उत्साहित हैं। पार्टी के नेताओं को विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता की उम्मीद नजर आ रही है।
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