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आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में AAP विधायक प्रकाश जरवाल दोषी करार

February 28, 2024

नई दिल्ली: AAP विधायक प्रकाश जरवाल (AAP MLA Prakash Jarwal) की मुश्किलें बढ़ गईं हैं. आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कोर्ट ने दोषी करार दिया (The court declared him guilty) गया. आम आदमी पार्टी के देवली से विधायक (Aam Aadmi Party MLA from Deoli) प्रकाश जरवाल को राउज एवेन्यू से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने प्रकाश जरवाल को डॉक्टर राजेंद्र भाटी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आप विधायक प्रकाश जारवाल दोषी करार दिया.

⁣कोर्ट ने आप विधायक प्रकाश जारवाल को IPC की धारा 306 और 120 B के तहत दोषी करार दिया. आपको बता दें कि अप्रैल 2020 में राजेंद्र भाटी ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. पुलिस को घटना स्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें AAP विधायक प्रकाश जारवाल का नाम था. प्रकाश जारवाल और उनके सहयोगी पर लगातार धमकी देने का भी आरोप लगाया गया था.

दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) विधायक प्रकाश जारवाल को 2020 में दक्षिण दिल्ली के एक डॉक्टर की मौत के मामले में उनके और उनके सहयोगियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी ठहराया. मामले की सुनवाई राउज एवेन्यू में विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल की अदालत में हो रही थी. दिल्ली की एक अलग अदालत ने नवंबर 2021 में मामले में जारवाल के खिलाफ आरोप तय किए थे.


18 अप्रैल, 2020 को डॉ. राजेंद्र सिंह (52) की उनके आवास पर आत्महत्या से मृत्यु हो गई थी. पुलिस ने कहा कि घटनास्थल से एक कथित सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने कथित तौर पर जारवाल और उसके सहयोगी पर उसे और उसके परिवार को उसके जल आपूर्ति व्यवसाय को लेकर “परेशान” करने का आरोप लगाया है. पुलिस ने कहा कि कथित नोट में उसने उन्हें अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया और जारवाल पर जबरन वसूली का आरोप लगाया.

2021 में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने जारवाल और उनके सहयोगी कपिल नागर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 120-बी (आपराधिक साजिश की सजा), 386 (किसी व्यक्ति को बंधक बनाकर जबरन वसूली), मृत्यु या गंभीर चोट का डर), 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप तय किए. एक अन्य आरोपी, हरीश को आईपीसी की धारा 306 और 386 के तहत अपराध के लिए बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 506 आईपीसी के तहत अपराध के लिए प्रथम दृष्टया आरोप लगाया जा सकता है.

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