नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने चुनावों में मुफ्त के वादे (Free promises in elections) रोकने के लिए नियमों को लेकर राजनीतिक दलों (Political parties) से सलाह मांगी थी, जिसमें सिर्फ पांच दलों ने ही अपनी राय आयोग को भेजी है। इनमें कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा जैसे दल शामिल नहीं हैं। इन पांच दलों में आप, डीएमके, अकाली दल, सीपीएम और एसआईएमआईएम शामिल हैं। वहीं भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने आयोग से राय देने के लिए कुछ और दिनों का समय मांगा है। राय देने की अंतिम तिथि 19 अक्टूबर थी।
राय देने वाले पांच दलों में से एक दल अकाली दल (Akali Dal) ने ही फ्रीबी के वादे करने से रोकने का समर्थन किया है लेकिन अन्य चारों दलों ने कहा है आयोग को दलों के घोषणा-पत्र को नियमित करने की शक्ति हासिल नहीं है। अनुच्छेद 324 आयोग को यह शक्ति नहीं देता कि चुनाव के समय वह राजनीतिक दलों की नीतिगत घोषणाओं का मूल्यांकन कर उनका नियमितीकरण करे।
वहीं डीएमके (DMK) ने कहा कि आयोग का यह काम नहीं है कि वह चुनावों में की गई घोषणाओं के बजट के बारे में जानकारी ले। वहीं आप ने कहा कि लोगों को बिजली और पानी की सुविधाएं देना सरकार की मूल जिम्मेदारी है। आयोग भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों की राय आने के बाद घोषणा पत्रों को विनियमित करने के बारे में नियम बनाएगा।
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