नई दिल्ली (New Delhi) । नौकरशाहों के मुद्दे पर कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) में पहले से ही मनमुटाव है। आप लगातार कांग्रेस से समर्थन मांग रही है, हालांकि अभी तक उसे निराशा हाथ लगी है। इस बीच अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इससे कि दोनों दलों के बीच दरार और बढ़ने की संभावना है। दूसरे राज्यों में पार्टियों के विस्तार को रोकने के विपक्ष के संकल्प को तोड़ते हुए हरियाणा (Haryana) के लिए 20 पदाधिकारियों की एक सूची की घोषणा की है।
आपको बता दें कि दिल्ली और पंजाब में जीत के बाद उत्तरी राज्यों पर कब्जा करने के अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी ने यह कदम उठाया है। आप यह भी जना लें कि हरियाणा में कांग्रेस प्रमुख विपक्षी पार्टी है।
वहीं, सूत्रों का यह भी कहना है कि 23 जून को पटना में विपक्ष की बैठक में आम आदमी पार्टी ने ही यह कहा था कि व्यापक विपक्षी एकता के हित में पार्टियों को दूसरे राज्यों में अपने विस्तार की प्रक्रिया को रोकना चाहिए। हालांकि, पटना में हुई विपक्ष की बैठक में भाजपा के खिलाफ तैयार की गई रणनीतियों के अलावा अन्य कारणों से सुर्खियां बनी।
आम आदमी पार्टी दिल्ली के नौकरशाहों पर नियंत्रण लेने के केंद्र के विधेयक का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों से समर्थन मांग रही थी। कांग्रेस से हालांकि कोई सकारात्मक जवाह नहीं मिला। पटना की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने इसे मजबूती से उठाया।
अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने कहा था कि जब तक मुख्य विपक्षी दल सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर केंद्र के कार्यकारी आदेश की निंदा नहीं करता है, तब तक आप के लिए ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस शामिल है।
पटना में मिली निराशा के बाद कांग्रेस लगातार विपक्षी एकता के खिलाफ संकेत दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित समान नागरिक संहिता को भी सैद्धांतिक समर्थन दिया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसकी आलोचना की है।
जिन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई थी, वहां-वहां आम आदमी पार्टी मजबूती से लड़ रही है। गुजरात इसका ताजा उदाहरण है। इसके बाद अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पूरी ताकत दिखाने की तैयारी कर रही है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी तेलंगाना और मध्य प्रदेश में भी अपनी पैठ बनाने की उम्मीद कर रही है।
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