जयपुर: राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी की ओर से दी गई चेतावनी को दरकिनार करते हुए मंगलवार को एक दिवसीय अनशन कर धरना दिया. सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ मौजूदा गहलोत सरकार में कार्रवाई न किए जाने को लेकर एक दिवसीय अनशन शुरू किया. सचिन पायलट के एक दिवसीय ‘अनशन’ पर बीजेपी ने तंज कसा और कहा कि, राजस्थान कांग्रेस में मचा घमासान अब सड़कों पर आ गया है.
वहीं सचिन पायलट के इस कदम को विपक्षी दल के नेताओं ने कांग्रेस की राज्य सरकार में दरार की ओर इशारा किया.राजस्थान बीजेपी नेता राजेंद्र राठौर ने कहा कि पिछली वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ कथित रूप से लंबित भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को लेकर पायलट का एक दिवसीय धरने को फैसला राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा.
बीजेपी ने बताई राजस्थान में कांग्रसे की दो चुनौती
राजेंद्र राठौर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि, सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान को खुली चुनौती दे रहे हैं. उनका एक दिवसीय अनशन कांग्रेस सरकार के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. राठौर ने कहा, कांग्रेस ने देश भर में अपनी पकड़ खो दी है.राजेंद्र राठौर ने कहा कि कांग्रेस के कमजोर आलाकमान को राजस्थान में दो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि पहली चुनौती सचिन पायलट के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गुट की ओर से पिछले साल 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करना और अब दूसरी चुनौती पायलट के एक दिवसीय अनशन की है.
सचिन पायलट के समर्थन में आए असदुद्दीन ओवैसी
सचिन पायलट के धरने का AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने समर्थन किया.पायलट का समर्थन करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस मामले पर कांग्रेस के रुख ने यह संदेश दिया कि पार्टी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए गंभीर नहीं है. ओवैसी ने कहाकांग्रेस सरकार हो या बीजेपी सरकार दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया. यही वजह है कि एक पूर्व उपमुख्यमंत्री अपनी ही सरकार का विरोध करने जा रहे हैं. इससे यही संदेश जाता है कि कांग्रेस या बीजेपी भ्रष्टाचार के प्रति गंभीर नहीं है.’
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