नई दिल्ली. दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से कथित पॉलिटिकल फंडिंग पाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री (CM) अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की मांग की. आरोप है कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को SFJ से लगभग 133 करोड़ रुपए साल 2014 से 2022 के बीच मिले. ये पैसे दिल्ली बम ब्लास्ट के दोषी देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई और प्रो-खालिस्तानी सेंटिमेंट्स बढ़ाने के लिए दिए गए. जानिए, क्या है SFJ और क्यों भारत में इसपर बैन लगाया गया.
क्या है सिख फॉर जस्टिस
साल 2007 में खालिस्तानी चरमपंथी गुरवंत सिंह पन्नू ने सिख फॉर जस्टिस संगठन बनाया, जिसका मकसद सिखों के लिए अलग देश की मांग है. ये लगातार कई अलगाववादी अभियान चलाता रहा, जो पंजाब को भारत से आजाद कराने की बात करता है, लेकिन ध्यान दें कि संगठन सिर्फ भारत के पंजाब को अलग करने की मांग करता है, पाकिस्तान पर उसने कभी बात नहीं की.
कब-कब की बड़ी गतिविधियां
साल 2018 में सिख फॉर जस्टिस ने भारत से पंजाब के अलग होने पर एक जनमत संग्रह की बात की थी, जिसमें दुनियाभर के सिखों के शामिल होने की अपील थी.
साल 2020 में जनमत संग्रह के लिए वोटिंग की बात दोबारा छिड़ी. पंजाब के अलावा इसमें कनाडा, अमेरिका, यूरोप, न्यूजीलैंड और वे सारे देश थे, जहां ये सिख समुदाय रहता है.
एक वेबसाइट बनी थी- रेफरेंडम 2020. ये कहती है कि जब सिख भारत से आजादी के लिए एकमत हो जाएंगे, तो आगे की प्रोसेस होगी, यानी खालिस्तान को मान्यता दिलाने की कोशिश.
आतंकवादियों को शहीद बताता रहा
SFJ लगातार उन लोगों की छवि चमकाता रहा, जिन्होंने चरमपंथी सोच के साथ मासूम लोगों की हत्याएं की. मसलन, कनाडा में जनमत संग्रह के लिए मुख्यालय का नाम तलविंदर सिंह परमार के नाम पर रखा गया. सिख फॉर जस्टिस उसे शहीद कहता है, जबकि परमार 1985 एयर इंडिया बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था. इस विस्फोट में 3 सौ से ज्यादा बेगुनाह मारे गए.
खालिस्तानी झंडा फहराने के बदले महंगे फोन का वादा
एसएफजे ने इंदिरा गांधी के हत्यारों, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को भी ऊंचा दर्जा दिया. साल 2020 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें संगठन के लीडर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ‘शहीद’ बेअंत सिंह के सम्मान में खालिस्तान का झंडा फहराने वाले लोगों को लेटेस्ट आईफोन देने का वादा किया था.
पन्नू समेत उसके संगठन पर बैन
खालिस्तान के नाम पर लोगों को उकसाने और देश तोड़ने की साजिश करने की वजह से पन्नू को भारत आतंकवादी मानता है. उसपर अलगाववाद को बढ़ावा देने और पंजाबी सिख युवाओं को हथियार उठाने के लिए भड़काने का आरोप लगा. साल 2020 में अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट 1967 (UAPA) के तहत उसे आतंकी घोषित किया गया. चूंकि सिख फॉर जस्टिस की विचारधारा भी वही है इसलिए उसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया. इसी के साथ-साथ एसएफजे का कंटेंट बनाने-दिखाने वाले कई यूट्यूब चैनलों पर भी प्रतिबंध लग गया.
बैन लगाने वाली होम मिनिस्ट्री की 2019 अधिसूचना में कहा गया- सिखों के लिए तथाकथित जनमत संग्रह की आड़ में, एसएफजे असल में पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी सोच को सपोर्ट कर रहा है. ये काम वो विदेशी धरती पर, शत्रु ताकतों के साथ मिलकर रहा है.
कौन है गुरपतवंत सिंह पन्नू
मूल रूप से अमृतसर के खानकोट का रहने वाले पन्नू नब्बे की शुरुआत में अमेरिका चला गया, जहां फाइनेंस और कानून की डिग्रियां लीं. इसके बाद उसकी राजनैतिक सक्रियता बढ़ती चली गई. वो अमेरिका में लॉ फर्म चलाता है, साथ में खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस के जरिए अलगाववादी सेंटिमेंट्स पर काम करता है.
किसकी रिहाई चाहता है सिख फॉर जस्टिस
अब जानिए उस शख्स के बारे में जिसकी रिहाई के लिए आप ने कथित तौर पर करोड़ों रुपए लिए. देवेंद्र पाल सिंह भुल्लर साल 1993 में दिल्ली बम ब्लास्ट का दोषी है. युवा कांग्रेस हेडक्वार्टर के सामने हुए विस्फोट में 9 मौतें हुई थीं. घटना के बाद भुल्लर जर्मनी भाग गया, जहां से गिरफ्तारी के बाद जांच होने पर भुल्लर IPC की धारा 302, 307 और टाडा एक्ट के केस में फांसी की सजा सुनाई गई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
क्या है ताजा मामला
उपराज्यपाल को विश्व हिंदू महासंघ की तरफ से लिखित शिकायत मिली, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP को देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई और खालिस्तानी भावनाओं को बढ़ावा देने के लिए चरमपंथियों से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिले थे. उपराज्यपाल ने इसपर NIA जांच की सिफारिश की, जबकि आम आदमी पार्टी ने इसे षड्यंत्र करार दिया है
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