- अग्निबाण की पड़ताल में बड़ा खुलासा-उज्जैन शहर के ट्रैफिक सिग्नलों और मंदिरों के बाहर भीख मांगने वाले गिरोह सक्रिय
उज्जैन। शहर के व्यस्ततम ट्रैफिक सिग्नल जैसे चामुंडा माता चौराहा, तीन बत्ती, नानाखेड़ा या कोयला फाटक के अलावा शहर के महाकाल मंदिर सहित अन्य बड़े मंदिरों पर इन दिनों छोटे बच्चों को हाथ में लेकर भीख मांगने वाली महिलाओं की भारी तादाद हो गई हैं। इतने छोटे बच्चे कहाँ से आते हैं और उन्हें तेज धूप, बारिश हो या ठंड सभी मौसम में यह महिलाएँ लेकर खड़ी रहती हैं। इसकी बारीकी से पड़ताल जब अग्निबाण ने की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। शहर के मुख्य ट्रैफिक सिग्नल और कई चौराहों पर अपने पीठ पर या गोद में दुधमुंहे बच्चे को बांधे कई महिलाओं को भीख मांगते देखा होगा। बच्चे के लिए हाथ में बाटल लेकर आपने कई महिलाओं को भीख मांगते प्रतिदिन देखते होंगे। छोटे और मासूम बच्चों को आधा तन ढंककर जब आप दूध के लिए या बच्चे की भूख के लिए 10 या 20 रुपए देने के लिए आपका मन पसीज ही जाता होगा। तेज धूप हो, हाड़ कंपाने वाली ठंड हो या बारिश, इन महिलाओं को बच्चों को लेकर भीख मांगने से कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसी महिलाओं के हालात पर तरस खाकर आप उन्हें भीख में कुछ रुपए दे देते हैं लेकिन भीख के इस ‘धंधेÓ के कई पड़ाव हैं। छोटे और मासूम बच्चों को हाथों में लेकर भीख मांगने वाली इन महिलाओं को अच्छी तरह मालूम है कि हम पूरी तरह स्वस्थ एवं हाथ पैरों से सही सलामत दिखने के बाद कोई भी हमें भीख आसानी से नहीं देगा। ट्राफिक सिग्नलों पर जैसे ही लाल बत्ती होती है दो पहिया वाहन और कार ऑटो रिक्शा सभी राहगीर रुक जाते हैं। आपकी सहानुभूति हासिल करने के लिए गोद में किसी दुधमुंहे बच्चे को लिए रहती हैं।
हाथ में एक बच्चे के दूध की छोटी खाली बाटल होती है और बच्चे की भूख का वास्ता देकर भीख देने के लिए मजबूर करती हैं। इनमें से कुछ महिलाओं के पास स्वयं के छोटे बच्चे हैं लेकिन जिनके पास छोटे बच्चे नहीं वह पड़ोसी या फिर रिश्तेदार से दिन के हिसाब से या फिर मिले भीख में से तय हिस्सा देने के करार के साथ बच्चों को लाती हैं। अग्निबाण की टीम ने चामुंडा माता चौराहे पर और शहर के अन्य स्थानों पर जब इस तरह की महिलाओं से बात की तो महिलाओं ने कुछ नहीं बताया लेकिन इन महिलाओं के साथ कुछ बड़े बच्चे भी थे। जिन्होंने बताया कि अधिकतर बच्चे उनके पड़ोसी और रिश्तेदार के रहते हैं। भीख मांगने के लिए उन्हें एक तरह से हर दिन किराए पर लाया जाता है और ट्रैफिक सिग्नलों पर या शहर में भीख मांगने वाली इन महिलाओं के बच्चे भी रोज चेंज हो जाते हैं। एक महिला ने बताया कि उनका पुश्तैनी कामकाज बंद हो गया है। घर के पुरुष दिन भर शराब के नशे में पड़े रहते हैं। घर की जिम्मेदारी संभालना महिलाओं के पर ही है तो भीख मांगने पर मजबूर हो गई। भीख मांगने वाली इन महिलाओं की स्थिति बहुत ही भयावह है। दिन भर जो भी पैसे भीख में जमा करती हैं। घर जाते ही, उसका आधा हिस्सा पति छीन लेता है और शराब, जुए और सट्टे में उड़ा देता है। मना करने पर मारपीट की जाती है। बचे रुपये में से बच्चे के परिवार को हिस्सा देती हैं। भिक्षावृत्ति के लिए मासूम दूधमुंहे बच्चों को ही लेकर भीख नहीं मांगी जा रही है। कई कम उम्र के बच्चे भी भीख मांग रहे हैं। इन बच्चों के बीच के रुपयों में में से भी बंटवारा किया जाता है। विशेषकर महाकाल मंदिर के बाहर, काल भैरव, मंगलनाथ सहित शहर के अन्य मंदिरों के बाहर महिलाओं और बच्चों की भीड़ देखी जा सकती है जो प्रतिदिन श्रद्धालुओं से भीख मांगते हैं। मासूम और छोटे बच्चों से भीख मंगवाना एक अपराध की श्रेणी में आता है। उज्जैन में कई बार भीख मांगने वाले बच्चों को महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर अनाथ आश्रमों में भेजा है लेकिन देखने में आया है कि पिछले कई समय से उज्जैन में मासूम बच्चों को लेकर भीख मांगने वाली महिलाओं और छोटे बच्चों की भारी तादाद हो गई है। ऐसे में आवश्यकता है कि एक अभियान चलाकर भिक्षावृत्ति कर रही इन महिलाओं से मासूम बच्चों को मुक्त कराया जाए।