नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने आधार कार्ड (Aadhaar card) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने कुछ कामों के लिए Aadhaar को अनिवार्य नियम से हटा दिया है। पेंशनधारकों को अब अपने जिंदा होने का प्रमाण देने के लिए आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य नहीं होगा। केंद्र सरकार (Central government) ने नए नियमों में इस बाध्यता से छूट दे दी है। मैसेजिंग सॉल्यूशन संदेश (Sandes) और सरकारी दफ्तरों के बायोमीट्रिक्स अटेंडेंस सिस्टम में भी आधार नंबर की अनिवार्यता हटा दी गई है।
बदल गए हैं ये नियम : अब इस नए नियमों के मुताबिक जीवन प्रमाण पत्र (Life Certificate) के लिए आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। अनिवार्य से बदलकर इसे स्वैच्छिक कर दिया गया है। यानी कि अगर कोई पेंशनर्स चाहें तो आधार की जानकारी दें सकते हैं, या फिर नहीं चाहेंगे तो नहीं देंगे। इस नियम के स्वैच्छिक होने से पेंशनर्स की बड़ी दिक्कत का समाधान हो गया है। बता दें कि पेंशनर्स को हर साल की शुरुआत में Life Certificate के लिए दौड़-भाग करनी होती है। ये और भी मुश्किल जब हो जाता है जब किसी पेंशनर के आधार कार्ड में दी गई बायोमीट्रिक जानकारी अपडेट नहीं होती है या फिर और कोई तकनीकी दिक्कत सामने आती है। हालांकि अब उन्हें काफी राहत मिलेगी।
Sandes ऐप के लिए आधार की जरूरत नहीं : सरकारी ऑफिस में हाजिरी लगाने के लिए अनिवार्य किया गया ऐप Sandes के लिए भी आधार वैरिफिकेशन को अनिवार्य से हटाकर स्वैच्छिक कर दिया गया है। बता दें कि Sandes इंस्टैंट मैसेजिंग सॉल्यूशन ऐप है जो सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए तैयार किया गया है। अब सरकारी कर्मचारियों को Sandes के जरिए ही हाजिरी लगानी होती है।
क्या है अधिसूचना : इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 18 मार्च को एक अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि जीवन प्रमाण के लिए आधार की प्रामाणिकता स्वैच्छिक आधार पर होगी और इसका इस्तेमाल करने वाले संगठनों को जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए वैकल्पिक तरीके निकालने चाहिए। इस मामले में एनआईसी को आधार कानून 2016, आधार नियमन 2016 और कार्यालय ज्ञापन तथा यूआईडीएआई (UIDAI) द्वारा समय समय पर जारी सकुर्लर और दिशानिर्देशों का अनुपालन करना होगा।
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