उज्जैन। शिप्रा नदी में लोग मर रहे हैं और हर सप्ताह एक से दो श्रद्धालु की जान जाती है..सवाल यह खड़ा होता है कि तीर्थ नगरी उज्जैन में लोग मरने आते हैं या फिर दर्शन कर शांति पाने के लिए..एक-एक करके केाई मरता है तो ध्यान भी नहीं जाता। पिछले दिनों तीन लोग मरे थे प्रशासन अलर्ट हो गया था। अब शिप्रा तट के आसपास तैराक दल नहीं दिख रहा है और फिसलन भी घाटों पर है।
रामघाट पर लगभग हर एक दो दिन में किसी न किसी की डूबने से मौत होती है और रविवार और सोमवार को रामघाट पर बाहरी श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है और हर रविवार को किसी न किसी श्रद्धालु की डूबने से मौत होती है लेकिन इसके बावजूद भी शिप्रा के घाटों पर रविवार और सोमवार के दिन न तो तैराक मौजूद रहते हैं और न ही होमगार्ड जवान और पुलिसकर्मी रहते हैं। आज सुबह भी ऐसा ही एक हादसा हो गया। अहमदाबाद निवासी प्रवीण पिता गणपत भाईजी उम्र 20 साल आज सुबह अपने दोस्त मनीष और तीन अन्य के साथ कार से आज सुबह उज्जैन पहुँचा था। सभी दोस्त महाकाल दर्शन से पहले रामघाट पर नहाने चले गए। नहाने के लिए प्रवीण नदी में उतरा और जैसे ही उसने डुबकी लगाई तो फिर वह नदी से वापस नहीं आया। इसके बाद उसके साथियों ने बचाने के लिए शोर मचाया। इस दौरान वहाँ मछली पकडऩे के लिए आए कुछ युवकों ने नदी में छलांग लगाई और डूबते प्रवीण को बचाने का प्रयास किया लेकिन कुछ देर में उसकी लाश मिली।
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