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    एक ट्रेन ऐसी भी! इस रेल में नहीं लगता है किराया, अंग्रेजों के जमाने से चल रही

  • January 15, 2023

    नई दिल्ली: ट्रेन, बस या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का कोई भी साधन हो उसमें सफर करने के लिए किराया देना पड़ता है. लेकिन अगर आपको पता चले कि एक ट्रेन ऐसी भी है जिसमें कोई टिकट या किराया नहीं लगता है तो आप उसमें जरूर सफर करना चाहेंगे. ये सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन ये सच है कि देश में एक रेल ऐसी है जिसमें आप फ्री में यात्रा कर सकते हैं.

    वैसे तो ट्रेन में बिना टिकट सफर करने पर टीटीई आप पर जुर्माना लगा सकता है लेकिन इस रेल में टीटीई भी नहीं होता है. हैरानी की बात है कि यह पिछले 75 वर्षों से लोगों को मुफ्त यात्रा की सुविधा मुहैया करा रही है लेकिन करोड़ों लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है. अगर आप जाना चाहते हैं कि बिना टिकट रेल यात्रा की सुविधा देने वाले ट्रेन कौन-सी है तो हम आपको बताने जा रहे हैं इसका नाम और रूट यानी ये ट्रेन कहां से चलती है और कहां तक जाती है.

    75 वर्षों से लोग कर रहे हैं मुफ्त यात्रा
    भाखड़ा-नंगल ट्रेन पिछले 75 वर्षों से मुफ्त यात्रा की सुविधा दे रही है. इस ट्रेन का संचालन और देखरेख भाखड़ा ब्यास प्रबंधन रेलवे बोर्ड करता है, यह ट्रेन हिमाचल प्रदेश/पंजाब सीमा के साथ भाखड़ा और नंगल के बीच चलती है. यह ट्रेन शिवालिक पहाड़ियों में 13 किलोमीटर की यात्रा करती है और सतलुज नदी को पार करती है. इस सुहाने सफर के लिए ट्रेन के यात्रियों को कोई किराया नहीं देना होता है.


    1948 से चल रही है ये ट्रेन
    भाखड़ा-नंगल बांध पूरे विश्व में सबसे ऊंचे सीधे बांध के रूप में जाना जाता है. इसके चलते पर्यटक दूर-दूर से इसे देखने आते हैं अगर आप भी यहां जाते हैं तो इस ट्रेन की मुफ्त सवारी का लाभ उठा सकते हैं. 1948 में भाखड़ा-नंगल रेलमार्ग पर सेवा शुरू हुई. भाखड़ा नंगल बांध के निर्माण के दौरान विशेष रेलवे की आवश्यकता की खोज की गई थी क्योंकि उस समय नंगल और भाकर को जोड़ने के लिए परिवहन के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे.

    भाप के इंजन के साथ इस ट्रेन को चलाया गया था, लेकिन 1953 में अमेरिका से लाए गए तीन आधुनिक इंजनों ने उनकी जगह ले ली. तब से भारतीय रेलवे ने इंजन के 5 वेरिएंट लॉन्च किए हैं, लेकिन इस अनूठी ट्रेन के 60 साल पुराने इंजन आज भी उपयोग में हैं.

    इस ट्रेन के कोच बेहद खास हैं और इनका निर्माण कराची में हुआ. इसके अलावा, कुर्सियाँ भी अंग्रेजों के जमाने में मिलने वाली से लकड़ियों से बनी हैं. बताया जाता है कि ट्रेन प्रति घंटे 18 से 20 गैलन ईंधन का उपयोग करती है, लेकिन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) ने इसे मुक्त रखने के लिए चुना है. दैनिक यात्री, बीबीएमबी कर्मी, छात्र और आगंतुक अभी भी नंगल बांध नदी के किनारे स्थापित रेलवे ट्रैक पर निःशुल्क यात्रा कर सकते हैं.

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