इन्दौर। टीवी के धारावाहिक रामायण (Ramayana) की कुबड़ी दासी मंथरा ( Manthara) आप सभी को खूब याद होंगी, जो कैकेयी के कान भरा करती थी। इस किरदार में अभिनेत्री ललिता पवार ( Lalita Pawar) ने इतना अच्छा अभिनय किया था कि लोग उन्हें असल में भी मंथरा मानने लगे थे। ललिता पवार ( Lalita Pawar) ने तमाम फिल्मों में काम किया और उनकी खूबसूरती के चर्चे हर तरफ थे। अपने जमाने में ललिता सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस थीं।
आज ही के दिन 18 अप्रैल 1916 को नासिक (Nashik), महाराष्ट्र में ललिता पवार ( Lalita Pawar) का जन्म हुआ था। उनका वास्तविक नाम अंबा लक्ष्मण राव शागुन था। अभिनेत्री ललिता पवार ने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखें लेकिन उनकी जिंदगी में एक हादसा ऐसा हुआ कि उनकी खूबसूरती में दाग लग गया। इस हादसे के बाद ललिता पवार ( Lalita Pawar) की पूरी जिंदगी बदल गई थी। ललिता पवार ( Lalita Pawar) ने कभी भी फिल्मों में आने के बारे में नहीं सोचा था। एक बार वो अपने पिता के साथ फिल्म की शूटिंग देखने गई थीं और वहां पर निर्देशक नाना साहेब की नजर ललिता पर पड़ी। नाना साहेब ने ललिता को फिल्म राजा हरिश्चंद्र में बाल कलाकार का रोल दिया। महज 9 साल की उम्र में ही ललिता ने एक्टिंग करना शुरू कर दिया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और उनकी पहली डायलॉग वाली फिल्म हिम्मत-ए-मर्दा थी, जो साल 1935 में रिलीज हुई थी। इसके बाद ललिता की जिंदगी में हुए एक हादसे ने उनकी खूबसूरती में दाग लगा दिया। दरअसल, ललिता पवार ( Lalita Pawar) साल 1942 में आई फिल्म जंग-ए-आजादी का एक सीन शूट कर रही थीं। इस सीन में एक्टर भगवान दादा (Actor Bhagwan Dada) को ललिता को एक थप्पड़ मारना था। उनका थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा कि वो नीचे गिर गईं। जब डॉक्टर को दिखाया तो उनके द्वारा दी गई किसी गलत दवाई की वजह से ललिता के शरीर के पूरे दाहिने हिस्से में लकवा मार गया। जिससे उनकी दाहिनी आंख भी पूरी तरह सिकुड़ गई थी और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गई।
हादसे के बाद फिल्मों में निगेटिव रोल किए
इतने बड़े हादसे के बाद भी ललिता पवार ( Lalita Pawar) ने हार नहीं मानी और उन्होंने फिल्मों में दमदार वापसी की। ललिता पवार ( Lalita Pawar) को फिल्मों में दुष्ट सास के रोल मिलने लगे थे। लेकिन उन्होंने इन रोल्स में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी। 1970 में आई फिल्म सास भी कभी बहू थी में उनका एक डायलॉग था, मेरी छाती पर आकर तो सांप भी रस्सी बन जाता है जो उस समय काफी मशहूर हुआ था। ललिता पवार ( Lalita Pawar) ने अपने करियर में 700 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। साल 1998 में उनका निधन हो गया था।
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