नई दिल्ली: कहते हैं समुद्र की गहराइयों में कई राज दफन हैं. कई बार समुद्र से अजीबोगरीब चीजें मिलती हैं जो सबको हैरान कर देती हैं. ऐसे ही एक बिच्छू के अवशेष कुछ शोधकर्ताओं को चीन में समुद्र से मिले हैं, जिन्हें देखकर वे चौंक गए. क्योंकि ये किसी आम बिच्छू के अवशेष नहीं हैं बल्कि एक विशेष प्रजाति के हैं जिनका आकार धरती पर पाए जाने पर आम बिच्छुओं से हजार गुना बड़ा था.
43 करोड़ साल पुराने हैं अवशेष
जानकारी के अनुसार आर्कियोलॉजिस्ट्स को समुद्र की गहराई में इन बिच्छूओं के अवशेष मिले हैं, जिसे देखने के बाद रिसर्चर्स भी हैरान रह गए. ये अवशेष 3.3 फीट बड़े हैं, जो इस बात का सबूत हैं कि पहले पानी के अंदर और शायद धरती पर भी बेहद बड़े साइज के बिच्छू हुआ करते थे. खोजकर्ताओं के मुताबिक ये अवशेष करीब 430 मिलियन यानी 43 करोड़ साल पुराने हैं. रिसर्चर्स ने इस विशेष प्रजाति को टी. जियुशानेंसिस (T. xiushanensis) नाम दिया गया है.
दिखने में थे आम बिच्छुओं की तरह
ये विशेष प्रजाति के बिच्छू दिखने में कुछ आज के जमाने के केकड़ों जैसे हुआ करते थे. अपने विशाल साइज की वजह से इन्होंने आतंक मचाया हुआ था. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पानी में रहने वाला ये जीव खाने की तलाश में समुद्र से बाहर धरती पर आया होगा. इस विशेष प्रजाति के बिच्छू को आजकल के बिच्छू और केकड़े के परिवार का माना जा सकता है. इस शॉकिंग खोज को साइंस बुलेटिन जर्नल में छापा गया है.
इंसानों जितने साइज के हुआ करते थे ये बिच्छू
साइंस बुलेटिन जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर्स को समुद्र की गहराइयों में दफन चट्टानों पर इन विशालकाय बिच्छूओं की आकृति छपी मिली. स्टगी के उपलेखक बो वांग का कहना है कि इन समुद्री बिच्छूओं को विज्ञान की भाषा में यूरिप्टरिड्स (Eurypterids) कहा जाता है. ये अपनी कांटेदार मूछों से मादाओं को आकर्षित किया करते थे. ये साइज में इंसान जितने बड़े भी हो सकते थे.
80 सालों में की गई सबसे बड़ी खोज है ये
बो वांग ने बताया कि उन्हें जो अवशेष मिल हैं उनका साइज कुत्ते जितना बड़ा है. एशिया में बीते 80 सालों में की गई ये सबसे बड़ी खोज है. इससे पहले कुत्ते एन्सिएंट सुपरकॉन्टिनेन्ट गोंडवाना में मिले थे. स्टडी में दावा किया गया कि इस तरह के बिच्छू दुनिया में अलग-अलग जगहों पर हुआ करते थे. इनकी कुल 4 प्रजातियां मौजूद थी, जिनकी खोज जारी है. बिच्छूओं की ये प्रजाति सदियों तक समुद्र पर राज करती रहीं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved