पांडिचेरी: बत्तीस साल बाद एक महिला को बड़ी सफलता हाथ लगी है. दूसरे शब्दों में कहें तो 32 साल बाद महिला को एक बड़े दर्द का मुआवजा मिला है. दरअसल महिला के पेट में एक असफल सर्जरी के बाद नट-बोल्ट चला गया था. अब राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण आयोग ने पुडुचेरी में एक निजी क्लिनिक को मुआवजे के रूप में 13.7 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
TOI की रिपोर्ट के अनुसार 24 जून, 1991 को क्लिनिक नल्लम में महिला की पेट की हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को निकालना) की गई थी. तब वह 35 साल की थीं. डॉ. वी. नल्लम और डॉ. श्रीराममूर्ति द्वारा की गई सर्जरी के बाद, उन्होंने जटिलताओं की शिकायत की और एक महीने के भीतर, 17 जुलाई, 1991 को उसी क्लिनिक में भर्ती कराया गया. तब से उन्होंने 2003 तक कई डॉक्टरों से परामर्श लिया, जब स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मिनी रवि ने उनकी जांच की और नवंबर 2003 में नट बोल्ट की पस्थिति की पुष्टि की.
दिसंबर 2003 में नट-बोल्ट को हटाने के लिए उन्हें एक अन्य निजी अस्पताल में एक बड़ी सर्जरी करानी पड़ी. इससे पहले, क्लिनिक नल्लम नि:शुल्क सर्जरी करने और मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करने के लिए आगे आया था. हालांकि, महिला ने राज्य आयोग में शिकायत दर्ज कर मुआवजे के रूप में 84 लाख की मांग की थी.
20 अप्रैल 2012 को, पांडिचेरी में राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने क्लिनिक नल्लम और विपरीत पक्षों को निर्देश दिया कि वे महिला को उसके शिकायतकर्ता द्वारा किए गए चिकित्सा उपचार की लागत के लिए 6 लाख रुपये भुगतान करें. इसके साथ ही महिला के द्वारा अपने घरेलू कामों के लिए घर में लगाई गई सहयोगी के लिए 72,000 हजार रुपये का भुगतान करने के लिए कहा. इसके अलावा विपरीत पक्षों की ओर से लापरवाही और सेवा में कमी के कारण असहनीय दर्द, सामान्य जीवन की हानि, बच्चों की देखभाल की हानि आदि के लिए 7 लाख रुपए अलग से मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया.
क्लिनिक और अन्य ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली के समक्ष अपील दायर की थी. जिसने 10 नवंबर को राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखा.
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