भोपाल। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वन्य जीव अभयारण्य नौरादेही को टाइगर रिजर्व में बदलने का प्रस्ताव वन संरक्षक सागर ने राज्य सरकार को भेजा है। सबकुछ ठीक रहा तो नौरादेही अभयारण्य व दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर एक नया टाइगर रिजर्व तैयार होगा।
केन बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र का कुछ भाग डूब में आएगा। ऐसे में नौरादेही अभयारण्य टाइगर रिजर्व बनने से बाघों को संरक्षित करने सुरक्षित व बेहतर विकल्प होगा। अपने प्रस्ताव में कहा है कि वर्तमान में नौरादेही वन प्राणी अभयारण्य में बाघ परिवार के 10 सदस्य विचरण कर रहे हैं। बीते चार साल में बाघों की संख्या दो से बढ़कर 10 हुई हैं। इनमें शावक, वयस्क नर-मादा बाघ शामिल हैं। यह वन्य प्राणी अभयारण्य क्षेत्रफल में प्रदेश का सबसे बड़े अभयारण्य का दर्जा रखता है। जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले की सीमाओं को 1197 वर्ग किलोमीटर में फैला है।
दो साल में पांच बाघ बढ़े
नौरादेही अभयारण्य में दो साल पहले बाघों की संख्या पांच थी। बाघ राधा-किशन और उनके तीन शावक थे। बीते साल बाघों की संख्या बढऩे के बाद वन विभाग ने नौरादेही अभयारण्य को नेशनल पार्क का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव बनायाथा। इसकी प्रक्रिया शुरू की गई।
अभयारण्य की सीमा में है बड़ी आबादी
पहले नौरादेही अभयारण्य की सीमा में 100 से ज्यादा गांव थे। अब 3 जिलों में फैले अभयारण्य में 72 गांव हैं। इनमें 52 गांव अभयारण्य व 20 गांव अभयारण्य के कोर एरिया में है। विस्थापन की प्रक्रिया लगातार जारी है। 22 गांव खाली कराए गए हैं। बाकी गांवों के भी विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है। वन्यजीव से जुड़ी संस्थाओं का कहना है, आबादी विस्थापित होने पर ही बाघों को बसाना चाहिए। ऐसा न करना खतरनाक हो सकता है।
इनका कहना है
नौरादेही व दमोह के रानी दुर्गावती अभयारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव विचाराधीन है। इस पर फैसला होना है।
अमित दुबे, सीसीएफ सागर
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