इंदौर। आगामी मास्टर प्लान (upcoming master plan) की तैयारी के मद्देनजर अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों की बैठकें कलेक्टर (Collector) आयोजित कर रहे हैं। इसी कड़ी में औद्योगिक सेक्टर (Industrial Sector) से जुड़े लोगों को कल चर्चा के लिए बुलाया गया, जिसमें यह सुझाव आया कि औद्योगिक क्षेत्रों के लिए लगभग 5 हजार एकड़ जमीन आगामी मास्टर प्लान-2035 में चिन्हित की जाए। वहीं अधिकारियों ने जानकारी दी कि केन्द्र सरकार की अमृत योजना के तहत प्रदेश के जिन 34 शहरों का चयन किया है उसमें इंदौर भी शामिल है। लिहाजा 2035 का आगामी मास्टर प्लान (upcoming master plan) अमृत योजना (Amrit Yojna) की गाइडलाइन के तहत ही तैयार किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान 2021 का मास्टर प्लान अभी 31 दिसम्बर को समाप्त हो जाएगा। हालांकि 1 जनवरी 2022 से तो नया मास्टर प्लान लागू नहीं हो सकेगा, मगर इसकी प्रक्रिया अवश्य शुरू हो गई है। 79 जिन गांवों को नए निवेश क्षेत्र में शामिल किया गया है उनके वर्तमान भू-उपयोग के मानचित्रों का प्रकाशन कर दावे-आपत्तियां अभी 31 अक्टूबर तक आमंत्रित की गई है। वहीं कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) संबंधित क्षेत्रों के लोगों से मास्टर प्लान (Master Plan) पर सुझाव और विचार-विमर्श कर रहे हैं। कल कलेक्टर की अध्यक्षता में वर्तमान और भावी औद्योगिक सेक्टर के वीजन, आवश्यकताओं पर चर्चा हुई। इस बैठक में निगमायुक्त प्रतिभा पाल, प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय, एडीएम पवन जैन, एमपीएसआईडीसी के रोहन सक्सेना, हाउसिंग बोर्ड, लोक निर्माण, क्रेडाई, बिल्डर एसोसिएशन, आईटीपीआई, मंडी एसोसिएशन (Corporation Commissioner Pratibha Pal, Authority CEO Vivek Shrotriya, ADM Pawan Jain, Rohan Saxena of MPSIDC, Housing Board, Public Works, CREDAI, Builder Association, ITPI, Mandi Association) और औद्योगिक सेक्टर के प्रतिनिधियों के अलावा संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश एसके मुद्गल भी शामिल रहे। कलेक्टर ने संयुक्त संचालक श्री मुद्गल को निर्देश दिए कि विकास प्रारूप में आईटी सेक्टर से संबंधित इकाइयों को प्रोत्साहित किया जाए। मेट्रो सिटीज के तर्ज पर इंदौर में भी आईटी इकोसिस्टम का निर्माण किया जाए जहां निजी क्षेत्र की बड़ी आईटी इंडस्ट्रीज अपनी इकाइयां स्थापित कर सकें तथा आईटी पार्क निर्मित कर सके। उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहित करने हेतु विकास योजना के प्रारूप में विभिन्न तरह के प्रावधानों को शामिल किया जाए।
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