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1,373 करोड़ से मप्र में बिछेगा सड़कों का जाल

October 14, 2022

  • विधानसभा चुनाव से पहले जर्जर सड़कों का होगा निर्माण

भोपाल। विधानसभा चुनाव 2023 से पहले प्रदेश में जहां गांव से लेकर शहर तक सड़कों का जाल बिछेगा, वहीं मानसून से जर्जर हुई सड़कों का पेंचवर्क भी पूरा किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए मप्र को विशेष सहायता योजना में 1373 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है। इस राशि से 107 सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। इनमें से 99 सड़कें जुलाई 2023 तक पूरी हो सकेंगी। केंद्र ने यह राशि मप्र को बिना ब्याज के दी है और इसे 50 साल में वापस करना होगा।
जिन सड़कों का निर्माण कराया जाएगा, उनमें दो नवीन सड़कों रीवा ब्यौहारी से टेटका मोड़ तक 125 करोड़ रुपए तथा नर्मदापुरम – पिपरिया रोड 70.57 करोड़ की लागत से निर्मित कराया जाएगा। इसके अलावा अपूर्ण कार्यों एलीवेटेड कॉरिडोर इंदौर को 70.50 करोड़, सीहोर इछावर – कोसमी मार्ग 97.50 करोड़, मनावर उमरबन कालीबावड़ी धामनोद 89 करोड़, हथाईखेड़ा डैम से माउंट फोर्स स्कूल रायसेन रोड 83.35 करोड़, नसरुल्लागंज-कोसमी मार्ग 42.34 करोड़, हाई लेवल ब्रिज नर्मदा नदी ओंकारेश्वर 40.25 करोड़, नरसिंहपुर सांकल गोटेगांव मेजर डिस्ट्रिक रोड 40 करोड़, कलियासोत डैम न्यू बायपास रोड 32.31 करोड़, जबलपुर यूनिवर्सिटी से डुमना रोड 30 करोड़, रेलवे ओवर ब्रिज खंडवा अकोला मीटर गेज सेक्शन केन नदी पन्ना- अमानगंज 14.68 16.28 करोड़ आदि की स्वीकृति केंद्र से मिली है। इनके अलावा रतलाम रिंग रोड 17.50 करोड़ , इटारसी-भुसावल 17.35 करोड़, मनावर सेमल्दा 17. 10 करोड़, भोपाल तिराहा रायसेन 17.00 करोड़, सिलवानी – गैरतगंज 15.79 करोड़, हाईलेवल ब्रिज धसान 14.83 करोड़, रतलाम- बाजना रोड 13.25 करोड़, बिरसी गोंदिया रोड 13.54 करोड़ और सागर- दमोह मार्ग 12.46 करोड़ में निर्माण की स्कीकृति मिली है।



सड़कों का पेंचवर्क बड़ी चुनौती
चुनावी वर्ष से पहले सरकार के सामने जर्जर सड़कों का पेंचवर्क बड़ी चुनौती है। प्रदेश में इस बार हुई रिकॉर्डतोड़ बारिश ने सड़कों की दशा बिगाड़ दी है। मप्र की 76000 किलोमीटर सड़कों में से 9500 किमी इस बार बारिश में खराब हो गईं। ये सड़कें लोक निर्माण विभाग, मप्र सड़क विकास निगम और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की हैं। ऐसा पहली बार है जब मानसूनी बारिश में प्रदेश में इतनी ज्यादा सड़कें खराब हुईं हों। अब तक 4 से 5 हजार किमी सड़कें ही खराब होती रही हैं। 55 हजार किलोमीटर का बड़ा हिस्सा लोक निर्माण विभाग के पास है, जिसमें से सबसे ज्यादा 5500 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें पूरी तरह उधड़ चुकी हैं। बाकी खराब सड़कों में 2500 किमी का हिस्सा आरडीसी और एनएचएआई का है। खास बात यह है कि साल भर पहले ही बनी भोपाल से होशंगाबाद जाने वाली सड़क औबेदुल्लागंज से बुदनी के बीच खराब हो गई है। भोपाल में करीब 500 किमी सड़कें खराब हुई हैं। पिछले दो साल में नगर निगम ने सीवेज और पाइप लाइन डालने के लिए 300 किमी से ज्यादा सड़कें खोदीं, लेकिन इनका रेस्टोरेशन ठीक से नहीं किया। इसलिए ये बारिश भारी पड़ गई। प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी इसका आकलन राजधानी की सड़कों की स्थिति से लगाया जा सकता है। शहर में सड़कों का हाल-बेहाल बना हुआ है। सड़कें जगह-जगह से गड्ढों में तब्दील हो गई है। इसके कारण रहवासियों को मुसीबत झेलना पड़ रही है। इसलिए इनका पेंचवर्क कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

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