नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। ग्रेसिम उद्योग में कल शाम हुई गैस रिसाव की घटना भविष्य के लिए सतर्क होने का एक संकेत है। कल के ट्रेलर से सीख लेकर सब कुछ ठीक नहीं किया गया तो भोपाल जैसे कांड की पुनरावृति होने से कोई रोक नहीं सकता। छोटे छोटे मामले में श्रेय लेने की होड़ करने वाले नेताओं का इतने बड़े मामले में चुप्पी साधना उनके हित लाभ उद्योग से जुड़े होने की ओर संकेत करते हैं। बुधवार को हुई घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की पूरी पोल खोल कर रख दी। गैस रिसाव और अन्य दुर्घटनाओं को लेकर की गई। माकड्रिल भी ज्यादा काम नहीं आई।
दुर्घटना के तुरंत बाद सभी को सचेत करने के लिए आपातकालीन सायरन बजाया जाता है ताकि उद्योग मे काम कर रहे श्रमिक सतर्क हो जाएं और अधिकारी तत्काल प्रशासन को सूचना देकर दुर्घटना पर काबू करने का प्रयास करें। कल हुई घटना में लापरवाही के आलम यह रहे कि आपातकालीन सायरन तो ठीक प्रशासन तक को जानकारी नहीं दी गई। एसडीएम आशुतोष गोस्वामी सहित पुलिस अधिकारी पत्रकारों की सूचना के बाद सक्रिय हुए तब तक आधे शहर में गैस का असर पहुंच चुका था। ये तो खुशकिस्मती रही रिसाव हुई गैस ओलियम थी जो कि ज्यादा घातक नहीं है, यदि उद्योग में मौजूद अन्य किसी गैस का रिसाव होता तो भोपाल गैस कांड भी छोटा पड़ जाता।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
1986 में दिल्ली में श्रीराम फूड एंड फर्टिलाइजर कंपनी इसी ओलियम गैस का रिसाव हुआ था जिसमें एक वकील की मौत और सैकड़ों लोग प्रभावित हुए थे। इस दुर्घटना में 470 बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे कम्पनी की जबाबदारी तय करते हुए स्पष्ट कहा था कि जान की कीमत पर उद्योग नहीं चल सकते। लोगों की सेहत और पर्यावरण दोनों को होने वाले खतरे के लिए उद्योग जबाबदार है। नागदा के औद्योगिक क्षेत्र के करीब चार विद्यालय और एक अस्पताल स्थित है।
कल ग्रेसिम उद्योग में हुआ था रिसाव
नागदा में स्थित ग्रेसिम उद्योग में कल शाम 3.30 बजे अचानक गैस का रिसाव हुआ। हवा के साथ साथ देखते ही देखते गैस पूरे क्षेत्र में फैल गई जिसके चलते लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त हो गया। गैस रिसाव के तुरंत बाद विभाग में कार्यरत कुछ कर्मचारी निकल कर बाहर आ गए। गैस रिसाव के चलते कुछ लोगों को घबराहट वह आंखों में जलन महसूस हुई जिन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया। गैस के घातक नहीं होने के कारण किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। उद्योग के कर्मचारियों द्वारा करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद गैस रिसाव के लीकेज पर काबू कर लिया गया। सूचना नहीं होने से स्थानीय प्रशासन घटना के 1 घंटे की देरी से मौके पर पहुंचा। जवाबदार प्रदूषण विभाग के जिला अधिकारियों को इस बात की जानकारी तक नहीं थी रात तक कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच पाया था। औद्योगिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी भी मौके पर रात 8 बजे तक नहीं पहुंचे थे। कल हुई रिसाव की घटना में रोशन सिंह सिकरवार उम्र 65 वर्ष, कैलाश सिंह तवर उम्र 66 वर्ष, कन्हैया प्रसाद मिश्रा उम्र 65 वर्ष, सुबोध स्वामी उम्र 52 वर्ष, केशव प्रसाद जैन उम्र 64 वर्ष, राजेश सेन उम्र 50 वर्ष को ग्रेसिम उद्योग में हुए गैस रिसाव के पश्चात खांसी सांस में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत होने पर शासकीय चिकित्सालय में डॉक्टर कमल सोलंकी द्वारा प्राथमिक उपचार दिया गया।
कायाकल्प की है आवश्यकता
अभी कुछ दिनों पहले ही ग्रेसिम उद्योग द्वारा 75वीं वर्षगाँठ समारोहपूर्वक मनाई परंतु बूढ़े हो चुके इस उद्योग के प्लांट के कायाकल्प की कोई रुपरेखा नहीं बनाई। ग्रेसिम उद्योग के कई प्लांट इतने वर्ष में पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं, पाईप लाईनों को भी रिपेयर करके उपयोग में लाया जा रहा है जो कि दुर्घटना के लिए खतरा बन रही है। सम्भवत: कल हुई घटना भी ऐसी ही किसी लापरवाही का नतीजा हो। आवश्यकता है कि औद्योगिक विभाग के उच्चअधिकारियों द्वारा सभी प्लांट की धनबल से प्रभावित हुए बिना जनहित में जांच हो ताकि शहर को और यहां काम कर रहे श्रमिकों को भविष्य के खतरे से बचाया जा सके।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved