नई दिल्ली (New Delhi) । कतर (Qatar) द्वारा 8 भारतीयों (Indians) को फांसी की सजा (Sentence to death) सुनाई गई है। इस मामले से वाकिफ लोगों के अनुसार, पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं। भारतीय नौसेना (Indian Navy) के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत की ओर से गुरुवार को मौत की सजा सुनाई जाने पर भारत ने कहा कि वह इस फैसले से बेहद हैरान है, और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है।
कतर मानता है कि ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं, जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था। मगर भारतीयों की फांसी की सजा में काफी पेचीदगी है। यदि ऐसा हुआ तो भारत के साथ कतर के रिश्ते खराब हो जाएंगे, जिसका हर्जाना कतर को झेलना होगा।
अपने नागरिकों को छुड़ाने में हालांकि भारत कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा। भारत परदे के पीछे से मामला सुलटाएगा। ऐसे में अब भारत के पास कूटनीतिक रास्ते ही बचे हुए हैं। यदि कतर भारतीयों को फांसी देगा तो इसका प्रभाव उसके ऊपर भी उलटा पड़ने वाला है। इस मामले में अपनी मनमानी करने का परिणाम कतर को झेलना होगा, और इस बात से कतर वाकिफ है कि भविष्य में इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
घुटनों पर आ जाएगी कतर की इकॉनमी
यदि कतर अपनी जिद पर भारतीयों को फांसी दे देता है तो इसका सीधा-सीधा असर उसकी इकॉनमी पर पड़ेगा। यहां तक उसकी इकॉनमी चरमरा सकती है। भारतीयों को फांसी देने के बाद उसके भारत से रिश्ते पूरी तरह से खराब हो जाएंगे। ऐसे में भारत व्यापारिक और कूटनीतिक तौर पर कतर को घेरेगा। कतर से नेचुरल गैस की खरीदारी जितनी भारत करता है, यदि दोनों के देशों के बीच डील में बाधा आती है तो कतर इसकी भरपाई नहीं कर पाएगा। हालांकि, एक ग्राहक के तौर पर भारत दूसरे खाड़ी देशों से अपनी जरूरतों को पूरी कर लेगा, मगर इसका हर्जाना कतर की इकॉनमी झेलेगी।
टूट सकती है कतर के इंफ्रास्ट्रक्टर कमर
यदि भारत से संबंध खराब हुए तो कतर की इंफ्रास्ट्रक्टर पर भी काफी प्रभाव पड़ने वाला है, क्योंकि कई श्रमिक भारत से कतर में मजदूरी करने के लिए जाते हैं। द्विपक्षीय संबंध खराब होने की वजह से भारत अपने नागरिकों को वापस बुला सकता है। भारत वैश्विक मंचों का भी इस्तेमाल कतर के खिलाफ कर सकता है, क्योंकि मौजूदा वक्त की जियो पॉलिटिक्स में कतर का हमास के साथ दोस्ताना संबंध देखा जा रहा है। ऐसे में इजरायल के साथ भारत की दोस्ती और हमास के खिलाफ जंग में स्थिति और खराब हो सकती है।
क्या है भारत का रुख
कतर में प्रथम दृष्टया न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद, भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि वह सभी संभावित कानूनी कार्रवाइयों की संभावना तलाश रहा है। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “मौत की सजा के फैसले से हम गहरे सदमे में हैं और विस्तृत फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं और हम सभी कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं।” इसमें कहा गया है, “हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाएंगे।” बता दें कि 8 लाख से अधिक भारतीय नागरिक कतर में रहते हैं और काम करते हैं।
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