नई दिल्ली (New Dehli) । राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement)के समय हर राम भक्त की जुबान (Tongue)पर एक पंक्ति थी. वो थी ‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे’. वीर रस की यह पंक्ति राम मंदिर (Row Ram Mandir)आंदोलन का नारा बनी थी. इसलिए बहुत अहम हो जाता है ये जानना कि इसे किसने लिखा था.
‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे’ वीर रस की यह पंक्ति राम मंदिर आंदोलन का नारा बनी थी. अब समय आ गया है तीन दशक पहले ली गई सौगंध के पूरा होने का. 22 जनवरी को नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसलिए बहुत अहम हो जाता है ये जानना कि ‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे’ गीत किसने लिखा था.
शाहजहांपुर की तहसील जलालाबाद के रहने वाले अजय गुप्ता कहते हैं, मेरे पिता कवि विष्णु गुप्त 6 दिसंबर 1992 को जलालाबाद में एक काव्य गोष्ठी में काव्य पाठ कर रहे थे. इस दौरान अचानक से सूचना मिली कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा दिया गया है.
‘मुख्य अतिथि एसडीएम तुरंत अपने वाहन की ओर बढ़े’
‘मुख्य अतिथि एसडीएम तुरंत अपने वाहन की ओर बढ़े. तभी दूसरी ओर मंच से हुंकार हुई ‘सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनाएंगे’. उत्साह से भरे वीर रस के कवि विष्णु गुप्त के मुंह से निकली यह पंक्ति श्री राम मंदिर आंदोलन का नारा बन गई’.
‘घर आए रात में ही इस पंक्ति पर गीत लिख दिया’
‘हालांकि, इसके बाद वो घर गए और रात में ही इस पंक्ति पर गीत लिख दिया. उन्होंने अपने इस गीत को और श्री राम पर लिखी अन्य रचनाओं को अपनी पुस्तक सौगंध में संकलित किया है. 1994 में मुंबई से आए गीतकार ने इस गीत को लय बध्य तरीके से गाकर ऑडियो कैसेट भी रिलीज की थी’.
‘जब राम भक्तों पर गोलियां बरसाई जा रही थीं…’
वो आगे बताते हैं, 2014 में पिता विष्णु गुप्ता का निधन हो गया. मगर, अब उनका परिवार उनकी सौगंध को पूरा होता देखेगा. विष्णु गुप्ता की पत्नी शशि कला का कहना है कि जब राम भक्तों पर गोलियां बरसाई जा रही थीं, तब यही सौगंध लोगों की जुबान पर थी.
‘ससुर जी का सपना अब पूरा हो रहा है’
पति की सौगंध को 31 साल बाद पूरा होते हुए देखने के लिए वो बहुत उत्साहित हैं. वहीं, उनकी बहू संगीता गुप्ता का कहना है कि हम लोग बहुत खुश हैं कि ससुर जी का सपना अब पूरा हो रहा है. हम लोग भी अयोध्या जाकर अपने ससुर की सौगंध को पूरा होते देखना चाहेंगे.
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