डेस्क: अक्सर हम उन छात्र छात्राओं के बारे में सुनते हैं, जो तमाम मुसीबतों को पार कर पढ़ाई करने जाते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी टीचर के बारे में बताने जा रहे हैं जो हजार परेशानियों को दरकिनार करते हुए 45 किलोमीटर का सफर कर स्कूल में पढ़ाने जाती है. खास बात ये है कि जिस स्कूल में टीचर पढ़ाने जाती हैं उस स्कूल में एक ही छात्रा है.
इंडियन एक्प्रेस की खबर के मुताबिक मंगला धावले नाम की टीजर जिला परिषद स्कूल में तैनात एकमात्र प्राथमिक शिक्षिका हैं, जो कक्षा एक में पढ़ने वाली सिया शेलार नाम की एक अकेली छात्रा को पढ़ाने पुणे से दूर एक छोटी सी बस्ती अटलवाड़ी जाती है. अटलवाड़ी स्कूल पुणे जिले के 3,638 प्राथमिक स्कूलों में उन 21 स्कूलों में से एक है जहां एक छात्र और एक शिक्षक है.
मंगला धावले पुणे के पास अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती हैं. हर रोज 45 किलोमीटर का सफर कर तमाम पारिवारिक जिम्मेदारियों से जूझती हैं. दरअसल मंगला धावले के पति भी पेशे से एक टीचर हैं जो सुबह ही स्कूल चले जाते हैं, वहीं उनकी 12 साल की बेटी बी स्कूल जाती है, ऐसे में उन्हें अपने पांच साल के बच्चे को डे केयर में छोड़ना होता है. जब उनकी बेटी दोपहर को स्कूल से आती है तो अपने भाई को साथ ले आती है. मंगला ने बताया कि जिस जगह वो पढ़ाने जाती हैं वहां नेटवर्क नहीं आता ऐसे में उनकी अपने बच्चों से बात नहीं हो पाती जिससे वो अक्सर परेशान रहती हैं.
मंगला का कहना है कि वेल्हा तहसील के पानशेत जैसे क्लस्टर स्कूल अगर सिया जैसे बच्चों को आने जाने के लिए बसें उपलब्ध करा दे तो वो और भी अच्छे से पढ़ाई कर सकते हैं. एक ही टीचर से एक बच्चा हर एक्टिविटी नहीं सीख सकता. छात्र अपने सहयोगियों से भी कुछ सीखते हैं, लेकिन स्कूल में सिया अकेली छात्र है और मैं अकेली टीचर हूं तो ऐसे में उसे मुझसे ही सब कुछ सीखना पड़ रहा है.
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