इंदौर (Indore)। एक दर्जन से ज्यादा बच्चों को अनंत चतुर्दशी के दौरान विभाग ने भिक्षावृत्ति करते पकड़ा था। कई बच्चों को जहां समझाइश देकर छोड़ दिया गया, वहीं बंजारा टोलियों से भिक्षावृत्ति में लिप्त मासूमों को विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया। पुराने भिक्षुकों ने कठोर कार्रवाई के बाद इंदौर आने से तौबा कर ली है, लेकिन अब राजस्थान और गुजरात से नई टोलियां शहर पहुंच रही हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से कलेक्टर आशीषसिंह ने भिक्षावृत्ति खत्म करने के लिए वृहद अभियान छेड़ा, जिसका नतीजा यह रहा कि लंबे समय से इंदौर को भिक्षावृत्ति का गढ़ बनाने वाले पुराने भिक्षुक दलों ने इंदौर आने से तौबा कर ली है। राजस्थान, गुजरात और बिहार क्षेत्र से नई टोलियां इन दिनों शहर में सक्रिय हैं। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नए बंजारों की टोलियां शहर से अनजान हैं और शहर में चल रही कार्रवाई को वे अभी नहीं जानते, जिसके कारण धरपकड़ की टीम को देखकर भाग नहीं रहे। पूछताछ में सामने आया है कि ये सभी शहर में भिक्षावृत्ति के लिए आए हैं।
पहली बार समझाइश फिर कार्रवाई
विभिन्न क्षेत्र के आधार पर तैनात की गई टोलियां हर दिन व्यस्ततम चौराहों, बाजारों, मंदिरों, सार्वजनिक स्थानों पर नजर बनाए हुए हैं। गणपति उत्सव के दस दिन बाद अनंत चतुर्दशी की झांकियों के कारवां में कई बच्चे भिक्षावृत्ति करते पाए गए थे। बंजारा परिवारों से संबंधित भिक्षावृत्ति करते पाए गए बच्चों को विभाग ने अपने संरक्षण में लिया। अब परिवार उन्हें छुड़ाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। विभागीय टीमें पहली बार इन भिक्षुकों को समझाइश देकर उनके राज्य में वापसी करा रही हैं। दूसरी बार दिखने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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