नई दिल्ली: दिल्ली में फर्जी वीजा बनाने के नाम पर 300 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. दिल्ली के तिलक नगर इलाके में आरोपी 5 साल से फर्जीवाड़े का यह खेल चल रहा था. पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने करीब 5 हजार फर्जी वीजा बनाए हैं, जिन पर लोग विदेश गए.
अधिकारियों के मुताबिक, इस साल 2 सितंबर को कुरुक्षेत्र के रहने वाला संदीप नाम का एक शख्स पुलिस की पकड़ में आया. उसके पास फर्जी स्वीडिश वीजा था. वह इटली जाना चाहता था. जब इमिग्रेशन चेकिंग हो रही थी, तो वह पकड़ा गया. संदीप ने पुलिस को बताया कि उसी की तरह उसके गांव के कई लोगों ने ऐसे ही वीजा लिया है. इनमें से कई तो ऐसे वीजा पर विदेश में नौकरी भी कर रहे हैं. पुलिस की पूछताछ में संदीप ने बताया कि उसने वीजा के लिए एजेंट आसिफ अली को 10 लाख रुपये दिए थे.
संदीप ने पुलिस को आसिफ अली के अलावा शिवा गौतम और नवीन राणा का भी नाम बताया था, जिसे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था. शिवा गौतम ने पुलिस को एजेंट बलवीर सिंह का नाम बताया. इसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर बलबीर सिंह और उसके साथी जसविंदर सिंह को अरेस्ट कर लिया. इन दोनों ने पुलिस को मनोज मोंगा के बारे में बताया. मनोज मोंगा ही वह शख्स है जो कि तिलक नगर में फर्जी वीजा बनाने का काम करता था.
पुलिस की एक टीम ने तिलक नगर में छापा मारा. पुलिस की छापेमारी में मनोज मोंगा अरेस्ट हो गया. मनोज मोंगा को ग्राफिक्स डिजाइनिंग की अच्छी जानकारी थी. उसने डिप्लोमा भी किया था. मनोज ने पुलिस को बताया कि करीब 5 साल पहले वह जयदीप सिंह से मिला था. उसी ने उसको उकसाया था कि वह ऐसा काम करे.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी 50 से 60 वीजा महीने में बनाता था. इसके लिए फर्जी स्टीकर लगाता था. एक वीजा के लिए 8 लाख रुपया लेता था. आरोपी लोगों को फंसाने के लिए टेलीग्राम, सिग्नल और वाट्सऐप को उपयोग में लेते थे. इन्हीं एप के जरिए ये लोगों से डील करते थे. पुलिस को आरोपियों के पास से 18 पासपोर्ट मिले हैं. साथ ही उनके पास से नकली वीजा स्टिकर भी मिले हैं.
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