इंदौर। सायबर अपराध देश में तेजी से बढ़ रहे है। लेकिन इसके पीछे पांच स्टेट के एक दर्जन गांव के लोग शामिल है। जो देश भर में वारदातों को अंजाम देते है। इंदौर में हुई नौ हजार से अधिक शिकायतों की जांच में यहीं के गिरोह सामने आए है। इसके चलते अब आए दिनों इंदौर पुलिस की टीमें यहां आती जाती रहती है।
पिछले कुछ सालों में शहर में ही सायबर अपराध काफी बढ़े है। इंदौर में पिछले साल क्राइम ब्रांच के पास नौ हजार शिकायतें पहुची थी, जिसमें इंदौरियों को करोड़ों का चूना लगाया गया था। वहीं 90 मामले सायबर सेल के पास पहुचे थे। इन सभी मामलों की जांच में यह बात सामने आई है कि पांच स्टेट के एक दर्जन गावों से ये गिरोह ऑपरेट हो रहे है। ये लोग बिजली बिल, ओएलएक्स, एटीएम फ्रॉड, और ऑनलाइन लोन की वसूली के लिए ब्लैकमेलिंग करते है।
ये है स्टेट और गांव
झारखंड के देवधर और गिरिडिज, पश्चिम बंगाल के 24 फरगना और मिरजापुर, बिहार के नालंदा और जमुडी, यूपी के नोएडा, गाजीयाबाद, राजस्थान के नुग, मेवात, भरतपुर और अलवर है। जहां से ये गिरोह ऑपरेट हो रहे है। पिछले कुछ सालों में इंदौर पुलिस की टीमें लगभग इन सभी स्थानों पर पहुंची और कुछ मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस का कहना है कि यहां रोजाना देश के किसी न किसी हिस्से से पुलिस की टीम आरोपियों की तलाश में पहुचती है। इन गांवों में दर्जनों की संख्या में लोग ठगी में लगे हुए है।
असम-उड़ीसा की सिम और खाते
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला है कि असम और उडि़सा के बैक खाते और सिम का उपयोग ठगी में बड़ी मात्रा में होता है, लेकिन यहां गिरोह नहीं है ये लोग यहां के गरीब लोगों को बातों में उलझाकर बैक खाते और सिम ले लेते है ताकि पुलिस से बचा जा सके।
एडवाइजरी में इंदौर और गुजरात
एडवाइजरी और आयुर्वेदिक दवा की ऐजेंसियों के नाम पर ठगी में इंदौर नंबर वन है। पिछले कुछ सालों में इंदौर में सौ से अधिक फर्जी एडवाइजरी कंपनियां पकड़ी गई है। जो देश से लेकर विदेशियों तक को ठग चुकी है। इसके अलावा गुजरात में भी बड़ी संख्या में फर्जी एडवाइजरी कंपनियां खोलकर ठगी के मामले सामने आए है।
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