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    जर्मनी में Angela Merkel के उत्तराधिकारी को लेकर गहराया संकट

  • April 14, 2021

    बॉन। सितंबर में होने वाले आम चुनाव(General Election) में चांसलर पद का उम्मीदवार (Chancellor nominee) कौन होगा, जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन में इसे लेकर उठा विवाद गहराता जा रहा है। गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन(सीडीयू) (Christian Democratic Union) ने कहा है कि उसके नए निर्वाचित नेता आर्मिन लैशेट ही गठबंधन का चेहरा होंगे। लेकिन गठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) (Christian Social Union) ने इस पद के लिए अपने नेता की दावेदारी को वापस लेने से इनकार कर दिया है। बीते 16 साल से मौजूदा चांसलर अंगेला मैर्केल (Chancellor Angela Merkel) इस गठबंधन की नेता रही हैं। लेकिन अब उनके उत्तराधिकारी के सवाल पर उस समय विवाद खड़ा हुआ है, जब जनमत सर्वेक्षणों में सत्ताधारी गठबंधन की लोकप्रियता लगातार गिरती दिख रही है।
    सीडीयू के महासचिव पॉल जीमियक ने कहा है कि सीडीयू के नेता को उसकी क्षेत्रीय इकाइयों में भारी समर्थन है। इसलिए उनका नाम वापस लेने का कोई सवाल नहीं है। लेकिन सीएसयू के नेता और बावरिया राज्य के प्रधानमंत्री मार्कस सोडर साफ किया है कि वे अपनी दावेदारी वापस नहीं लेंगे। रविवार को अचानक उन्होंने अपना दावा पेश कर दिया था। उसके पहले आम समझ थी कि लैशेट ही अगले चुनाव में गठबंधन का चेहरा होंगे। सोडर ने कहा कि सीडीयू की क्षेत्रीय इकाइयों में समर्थन होना गठबंधन का चेहरा होने का पैमाना नहीं हो सकता। गौरतलब है कि अंगेला मैर्केल पहले ही एलान कर चुकी हैं कि अगले चुनाव के बाद वे चांसलर का पद छोड़ देंगी।
    जनमत सर्वेक्षणों में फिलहाल सोडर की लोकप्रियता लैशेट से ज्यादा बताई जाती है। सीडीयू गठबंधन के वोटरों में भी वे लैशेट से ज्यादा लोकप्रिय बताए जा रहे हैं। मगर सीडीयू का नेतृत्व मजबूती से लैशेट के पक्ष में खड़ा है। सोमवार को लैशेट ने कहा कि इस मसले पर सोडर से सीधी बातचीत करेंगे। उन्होंने ध्यान दिलाया कि सीडीयू से जुड़ी 15 प्रादेशिक पार्टियों ने मिल कर उन्हें नेता चुना था। लैशेट के इस बयान के बाद सोडर ने कहा कि सीएसयू इस मामले में जल्दबाजी में किसी फैसले के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस हफ्ते अंत में इस मामले में सीडीयू नेतृत्व के साथ बातचीत की जरूरत है।



    जनवरी में सीडीयू ने लैशेट को अपना नेता चुना था। पार्टी का नेता ही आम तौर पर चांसलर पद का उम्मीदवार भी होता है। लैशेट अभी जर्मनी के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन-वेस्टफालिया के प्रधानमंत्री हैं। लेकिन उनके नेता चुने जाने के बाद दो राज्यों राइनलैंड-पैलेतिनेट और बाडेन वुटनबर्ग में हुए प्रांतीय चुनावों में सीडीयू हार गईं। तब से उनके खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इसी को ध्यान में रखते हुए सोडर ने अपना दावा पेश किया है।
    विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन में सीडीयू नेतृत्व का सबसे गहरा असर है। इसलिए सोडर की राह आसान नहीं है। इसके पहले सिर्फ दो मौके ऐसे आए जब सीएसयू के नेता को चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया। 1980 और 2002 में यानी उन दोनों मौकों पर चांसलर पद के चुनाव में सीडीयू गठबंधन नहीं जीत सका। इस बार वैसे भी इसके लिए मुकाबला कड़ा है। ग्रीन पार्टी उसकी मजबूत प्रतिद्वंद्वी बन उभरी है। उधर धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर ड्यूशलैंड (एएफडी) से भी उसे मुश्किलें पेश आ रही हैं।
    एएफडी ने एलान किया है कि सितंबर के चुनाव में उसका मुख्य मुद्दा जर्मनी को यूरोपियन यूनियन (ईयू) से बाहर निकालना होगा। हालांकि इस पार्टी के जीतने की संभावना नहीं है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह सीडीयू गठबंधन के कंजरवेटिव वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।

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