नई दिल्ली: भारत सरकार (Indian government) की ओर से गैर-बासमती चावल (non-basmati rice) के निर्यात पर बैन लगाने के बाद से दुनिया के कई देशों की दिक्कतें बढ़ गई हैं. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया (America and Australia) जैसे देशों के बाद मलेशिया भी चावल की कम आपूर्ति और बढ़ी हुई कीमत से जूझ रहा है. मलेशिया की सरकार (government of malaysia) ने भारत सरकार से इस बैन को हटाने की अपील की है. घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने जुलाई 2023 में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी. चूंकि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है. ऐसे में वैश्विक चावल बाजार प्रभावित हुआ है और कई देश चावल की बढ़ती कीमतों और कम आपूर्ति से जूझ रहे हैं.
मलेशिया अपने कुल चावल खपत का लगभग 38 प्रतिशत आयात करता है. लेकिन भारत की ओर से चावल निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद मलेशिया चावल की कमी से जूझ रहा है. चावल खरीदने के लिए दुकानों के बाहर लंबी कतार लगी हुई है. सुपरमार्केट और किराने की दुकानों में चावल के पैकेट खत्म हैं. चावल खरीदने के लिए लोगों के अंदर एक होड़ सी मची है. मलेशिया के खाद्य सुरक्षा मंत्री मोहम्मद साबू ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नागरिकों को आश्वस्त करने की कोशिश करते हुए कहा है कि देश में पर्याप्त चावल है. ऐसे में लोगों से आग्रह है कि घबराहट में चावल की खरीददारी न करें. सरकार आयतित चावल की कीमत में वृद्धि से उत्पन्न आपूर्ति समस्या से निपटने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण बढ़ाएगी.
मलेशियाई मंत्री का कहना है कि देश में चावल की कमी नहीं है, लेकिन आयातित चावल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने की वजह से उपभोक्ता सस्ते चावल के लिए स्थानीय अनाज की तरफ दौड़ रहे हैं. जिससे इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सरकार इसके समाधान के लिए उचित कदम उठा रही है. मलेशिया के खाद्य सुरक्षा मंत्री मोहम्मद साबू का कहना है कि लोकल चावल की कीमत 2.60 रिंगिट प्रति किलोग्राम तय की गई है. यह सबसे सस्ता चावल है. ऐसे में जब आयातित चावल की कीमत अचानक लगभग 36 प्रतिशत बढ़ा दी गई तो कई उपभोक्ताओं को आयातित चावल से लोकल चावल की ओर स्विच करना पड़ गया.
रिपोर्ट के मुताबिक, मलेशिया की कुल आबादी लगभग 3.2 करोड़ है और वह अपनी जरूरतों का लगभग 38 प्रतिशत चावल आयात करता है. भारत की ओर से चावल निर्यात पर लगाए गए बैन को हटाने के लिए मलेशिया की सरकार ने पिछले सप्ताह भारत सरकार से बातचीत की है. मलेशियाई मंत्री मोहम्मद साबू का कहना है कि भारत समेत 19 देशों की ओर से चावल निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद ऊंची कीमत पर आयातित चावल मददगार साबित नहीं हो सकता है.
उन्होंने आगे कहा, “हमारे देश में चावल की कोई कमी नहीं है. मैं लोगों को एक बार फिर कहना चाहता हूं कि पैनिक ना करें. आप केवल उतना ही चावल खरीदें जितना आपको चाहिए.” मलेशियाई खाद्य सुरक्षा मंत्री की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हुई है जब बुधवार से दक्षिण पूर्व एशियाई कृषि और वानिकी मंत्रियों की बैठक होनी है. मंत्री ने कहा है कि इस बैठक में भी खाद्य सुरक्षा और चावल संकट पर बात होगी. इस दौरान मलेशियाई मंत्री चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के खाद्य मंत्री से भी मुलाकात करेंगे.
भारत सरकार ने आगामी त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए 20 जुलाई को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. साल 2022-23 में चावल के कुल वैश्विक निर्यात में भारत का 40 फीसदी योगदान था. 2022-23 में भारत के गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात 42 लाख डॉलर का था जबकि पिछले साल यह निर्यात 26.2 लाख डॉलर का था.
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