इंदौर। कौन बनेगा कुलपति की दौड़ में इस बार रिकॉर्डतोड़ 200 से अधिक आवेदन मिले हैं, जिनकी छंटनी अब तीन सदस्यीय चयन समिति ने शुरू कर दी है, फिर उनमें से 10 अंतिम नामों को छांटकर उनका ऑनलाइन इंटरव्यू होगा और फिर अंतिम तीन नाम राज्यपाल को भेजे जाएंगे और फिर एक मंजूर नाम को कुलपति की कुर्सी मिलेगी। यह पूरी प्रक्रिया अगले हफ्ते होने की उम्मीद है, क्योंकि 18 सितम्बर से पहले आचार संहिता उपचुनावों के मद्देनजर लग सकती है, जिसमें सांवेर के कारण इंदौर भी प्रभावित होगा और फिर कुलपति चयन की प्रक्रिया ठप पड़ जाएगी।
पिछले दिनों कुलपति चयन समिति का गठन किया गया, जिसके चेयर पर्सन इलाहाबाद में रहने वाले प्रो. विनय पाठक हैं, जो लखनऊ की टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर रह चुके हैं। इसी तरह दूसरे सदस्य यूजीसी के जरिए नॉमिनी किए गए हैं, जिनका नाम अविनाशचंद्र पांडे है और ये बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। इसी तरह अभी चूंकि कार्य परिषद् अस्तित्व में नहीं है, लिहाजा शासन की ओर से उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन को समिति में लिया गया है। यह तीन सदस्यीय समिति प्राप्त आवेदनों की छंटाई कर रही है। यह भी एक रिकॉर्ड है कि इस बार 200 से अधिक कुलपति बनने के इच्छुक लोगों के आवेदन आए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख नामों का खुलासा अग्निबाण ने किया। वहीं भाजपा से लेकर संघ समर्थकों के भी नाम दावेदारों में शामिल हैं, जिनमें 2 बार के प्रभारी कुलपति रहे आशुतोष मिश्रा का नाम भी शामिल है। अभी विधानसभा उपचुनाव के लिए आचार संहिता लगने की खबरें सुर्खियों में है और 18 सितम्बर से पहले सुगबुगाहट चल रही है। लिहाजा इसके पूर्व कुलपति का चयन किया जाना है, क्योंकि मौजूदा इंदौर की देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति धारा 52 में बनाई गई थी और उनका कार्यकाल 15 सितम्बर तक समाप्त हो रहा है। लिहाजा 15 से 20 सितम्बर के बीच नया कुलपति इंदौर विश्वविद्यालय को मिल सकता है। 200 से अधिक दावेदारों की भीड़ में से समिति 10 नामों को छांटेगी, फिर उनका ऑनलाइन इंटरव्यू आयोजित किया जाएगा। तत्पश्चात तीन नामों का चयन कर राज्यपाल डॉ. आनंदीबेन को भेजे जाएंगे, तत्पश्चात फिर राज्यपाल इनमें से किसी एक का नाम इंदौर कुलपति के लिए तय करेगी। कुछ प्रमुख दावेदारों के नाम तो विभागों के कारण सूत्रों के मुताबिक बाहर बताए जा रहे हैं, जो अपने तगड़े उच्च सम्पर्कों के बलबूते कुलपति की कुर्सी की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे थे, जिनमें ग्वालियर की मौजूदा कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला और फिर प्रबंध संस्थान की डॉ. संगीता जैन जैसे नाम प्रमुख हैं, मगर पिछले दिनों कुछ वित्तीय अनियमितताओं और स्टाफ सदस्यों को पात्रता से अधिक वेतनमान भुगतान और फिर उसकी वसूली का मामला उजागर होने के चलते दावेदारी कमजोर पड़ गई, जबकि भाजपा और संघ के जरिए भी कुछ लोग इस दौड़ में शामिल हैं, जिसमें आशुतोष मिश्रा का नाम भी है। अभी आचार संहिता के चलते ही पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भी कल शासन ने ताबड़तोड़ कुलपति का मनोनयन किया और अब विश्वविद्यालय में कुलपति के लिए हलचल बढ़ गई है।
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