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e-commerce के नियमन के लिए जल्द आएगी ठोस policy

March 19, 2021

नई दिल्ली। देश में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच और ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce Compneis) के बढ़ते नेटवर्क के कारण केंद्र सरकार बहुत जल्द ई-कॉमर्स का नियमन करने के लिए एक ठोस नीति (concrete policy) लाने वाली है। इसके तहत केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार किया है, जिस पर चर्चा करने के बाद नई पॉलिसी का ऐलान किया जा सकता है।

जानकार सूत्रों के अनुसार ड्राफ्ट में सरकार ने साफ किया है कि किसी भी मार्केट प्लेटफॉर्म पर किसी भी विक्रेता को अलग से वरीयता नहीं मिलनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि 2018 में भी केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स सेक्टर में काम कर रही कंपनियों को निर्देश दिया था कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर अपने ग्रुप की कंपनियों के प्रोडक्ट को प्रेफरेंशियल प्रोडक्ट के रूप में पेश न करें। सरकार के इस फैसले के बाद फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने कुछ सेलर्स के ओनरशिप के ढांचे में बदलाव भी किया था। सरकार के निर्देश के कारण इन कंपनियों को अपने प्रमुख सेलर्स से कहना पड़ा था कि वे सीधे अपने सप्लायर से प्रोडक्ट हासिल करें।

जानकारों के मुताबिक प्रेफरेंशियल सेलर्स के मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तैयार की गई नई पॉलिसी ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स कंपनियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर बिक्री करने वाले सेलर्स के आंकड़ों का उपयोग किसी कंपनी के निजी फायदे के लिए नहीं करेंगी। इसके साथ ही पॉलिसी ड्राफ्ट में इस बात पर भी फोकस किया गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने वरीयता प्राप्त वेंडर्स को फायदा पहुंचाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हालांकि पॉलिसी ड्राफ्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सरकार इस नियम को कैसे लागू करेगी।


सरकार की पॉलिसी ड्राफ्ट में साफ कहा गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को साफ तौर पर बताना होगा कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर डिस्काउंट ऑफर की फंडिंग किस तरीके से करती हैं। आरोप है कि कुछ कंपनियों ने इसके लिए थर्ड पार्टी एजेंसी से करार कर रखा है, जो ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से सेलर्स के डिस्काउंट की फंडिंग करती हैं। दूसरी ओर कुछ कंपनियां प्लेटफॉर्म पर बिक्री करने वाले सेलर्स को अपने मुनाफे से फंडिंग डिस्काउंट का भुगतान करती हैं, ताकि उनके प्लेटफॉर्म पर अधिक से अधिक ग्राहक आ सकें।

जानकारों का कहना है कि सरकार के पॉलिसी ड्राफ्ट के मुताबिक नियमों को अगर लागू कर दिया जाता है, तो इससे विदेशी निवेशकों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि अभी तक वे भारत में निर्बाध रूप से बिना किसी बड़ी चुनौती के अपना काम कर रही हैं। हालांकि ई-कॉमर्स कंपनियों के कामकाज के लिहाज से भारत एक बहुत बड़ा बाजार है। ऐसे में विदेशी निवेशकों के लिए नियमों के डर से भारतीय बाजार की उपेक्षा कर पाना आसान नहीं होगा।

जानकार इस बात पर भी जोर देते हैं कि केंद्र सरकार के इस पॉलिसी ड्राफ्ट के जरिए कोई नया नियम नहीं बनाया जा रहा है, बल्कि अभी तक अलग-अलग समय पर जिन नियमों को बनाया गया है, उन्हें ही सरकार एक ढांचे में इकट्ठा कर कानूनी तौर पर मजबूती के साथ लागू करने जा रही है।

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