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    लापता किसानों की तलाश के लिए बनी कमेटी, संयुक्त मोर्चा बनाएगा अगली रणनीति

  • February 01, 2021

    नई दिल्‍ली। गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन किसानों की ओर से निकाली गई ट्रैक्‍टर परेड (Missing) के दौरान भड़की हिंसा के बाद से कई किसानों के लापता (Missing) होने की खबर है। सयुंक्त किसान मोर्चा (Sanyukta Kisan Morcha) ने दावा किया है कि उसके 100 से ज्यादा किसानों (Farmers) के बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही है। लापता किसानों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए पांच सदस्‍यों की एक कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी किसी भी सूचना के मिलने पर तालमेल बनाकर उसपर आगे की कार्रवाई करेगी।


    इसी के साथ बजट खत्‍म होने के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा आज शाम आंदोलन के आगे की रणनीति पर बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में फैसला लिया जाएगा कि आंदोलन को किस तरह से आगे बढ़ाया जाए, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके और कृषि कानून को रद्द कराया जा सके। बता दें कि रविवार को कुंडली बॉर्डर पर पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई। इस बैठक में ट्रैक्‍टर परेड में लापता हुए किसानों की तलाश करने को लेकर चर्चा की गई। लापता किसानों को ढूंढने के लिए प्रेम सिंह भंगू, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, अवतार सिंह, किरणजीत सिंह सेखो व बलजीत सिंह की एक कमेटी बनाई गई। इसके साथ ही किसानों की ओर से एक नंबर भी जारी किया गया है (8198022033)। इस नंबर पर फोन कर लापता किसानों के बारे में जानकारी दी जा सकती है।


    सयुंक्त किसान मोर्चा ने विभिन्न विरोध स्थलों की इंटरनेट सेवाओं को काटने के लिए किसानों के आंदोलन पर सरकार के हमले की भी निंदा की और कहा, ‘सरकार नहीं चाहती कि वास्तविक तथ्य किसानों और सामान्य जनता तक पहुंचे। न ही उनका शांतिपूर्ण आचरण दुनिया तक पहुंचे। सरकार किसानों के चारों ओर अपना झूठ फैलाना चाहती है। यह विभिन्न धरना स्थलों पर किसान यूनियनों के समन्वित कार्य से भी डरती है और उनके बीच संचार साधनों में कटौती करने की कोशिश कर रही है। यह अलोकतांत्रिक और अवैध है।’

    विरोध स्थलों की घेराबंदी पर सवाल : मोर्चा के नेताओ ने सिंधु बॉर्डर और अन्य धरना स्थलों तक पहुंचने से आम लोगों और मीडिया कर्मियों को रोकने के लिए लंबी दूरी से विरोध स्थलों की घेराबंदी पर सवाल उठाया। किसान नेताओं ने कहा कि भोजन और पानी जैसी बुनियादी आपूर्ति को भी बाधित किया जा रहा है। सरकार के इन सभी हमलों की हम निंदा करते हैं। पुलिस और सरकार द्वारा हिंसा के कई प्रयासों के बावजूद किसान अभी भी तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर बहस कर रहे हैं। हम सभी जागरूक नागरिकों को स्पष्ट करना चाहते हैं कि दिल्ली मोर्चा सुरक्षित और शांतिपूर्ण है।

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