डेस्क: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख हसीना को ढाका छोड़कर भागना पड़ा. अब वहां मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बन गई, लेकिन इसके बाद भी शेख हसीना की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं. हिंसक प्रदर्शन में मारे गए लोगों के लिए शेख हसीना को जिम्मेदार ठहराया गया है. इसको लेकर इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल में पूर्व पीएम शेख हसीना और अन्य पर नरसंहार और मानवता के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस केस में आरोप लगाया गया है कि शेख हसीना की सरकार ने छात्रों के आंदोलन के दौरान नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध किया था. एक अधिकारी ने कहा कि ये शिकायत उन छात्रों में से एक के पिता ने दर्ज कराई है, जिनका बेटा विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलियों से मारा गया.
बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन के दौरान 5 अगस्त को पुलिस की गोली से कक्षा 9 के छात्र आरिफ अहमद सियाम की मौत हो गई थी. उसके पिता बुलबुल कबीर ने सुप्रीम कोर्ट के एक वकील के माध्यम से केस दर्ज कराया है. इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल के डिप्टी डायरेक्टर अताउर रहमान ने द डेली स्टार को बताया कि शिकायत दर्ज कर ली है और इस प्रकार के मामले की जांच पूरी होने पर अगली प्रक्रिया के लिए ट्रिब्यूनल के चीफ प्रोसिक्यूटर ऑफिस को रिपोर्ट सौंपेंगे. समाचार एजेंसी ने बताया कि शेख हसीना और कई लोगों पर नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप लगाया गया है.
अधिकारी ने बताया कि शिकायत में शेख हसीना और अन्य लोगों पर 15 जुलाई से 5 अगस्त के बीच सामूहिक हत्याओं को अंजाम देने का आरोप लगाया गया है. इसमें अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, सूचना एवं प्रसारण के पूर्व मंत्री मोहम्मद अली अराफात, आईसीटी मामलों के पूर्व मंत्री जुनैद अहमद पलक और बर्खास्त पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल मामून समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल हैं.
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