जबलपुर। पश्चिम मध्य रेल जबलपुर मंडल के अंतर्गत आने वाले बरगवाँ स्टेशन के समीप गोंदवाली कोल लोडिंग साइडिंग पर हजारों टन कोयले का अवैध स्टॉक मिलने के मामले में रेलवे अफसरों ने अधिकृत तौर पर स्वीकार कर लिया है कि उन्हें ये पता नहीं चल पा रहा है कि आखिर इस कोयले का मालिक कौन है। वहीं दूसरी तरफ रेलवे के ही अफसर कह रहे हैं कि रेल साइडिंग में सिंगल ट्रांसपोर्टर महाकाल द्वारा ट्रांसपोर्टिंग की जाती है। क्या सही और क्या गलत ये तो शायद ही पता चल पाए,लेकिन दिल्ली से आए एक फोन के बाद इस अवैध कोयले की पूरी कहानी बदल गयी है। रेलवे के गलियारों में चर्चा सरगर्म है कि दो दिन पहले तक जांच किसी और दिशा में दौड़ रही थी,लेकिन बाद में जांच ने यू-टर्न ले लिया।
अफसर मिले हुए थे,लेकिन किससे!
इस मामले में अभी तक किसी भी कंपनी या ठेकेदार ने यह स्वीकार नहीं किया है कि कोयले का ये स्टॉक उसका है,लेकिन रेलवे प्रशासन ने तीन अधिकारियों को यह कहते हुये निलंबन थमा दिया कि अवैध कोयले के स्टॉक करने में ये मिले हुये हैं,लेकिन ये नहीं बताया जा रहा कि आखिर ये किससे मिले हुये हैं। मामले में, चीफ कॉमर्शियल इंस्पेक्टर नंदन कुमार, चीफ ट्रैफिक इंस्पेक्टर व स्टेशन अधीक्षक पद पर पदस्थ रामेश्वर लाल मीना और चीफ गुड्स सुपरवाइजर अभिषेक शुक्ला को निलम्बित कर दिया गया है। मामले की जाँच के लिए कॉमर्शियल, ऑपरेटिंग, आरपीएफ और इंजीनियरिंग विभाग इन चारों विभागों की टीमें बनाई गई हैं।
अफसरों को नहीं दिखा कोयले का पहाड़
मौके से जब्त किया गया कोयला करीब 4 हजार टन के आसपास आँका जा रहा है। जो ग्रेड-6 का बताया जा रहा है। ये कोयला यहां कब से पड़ा हुआ है और इससे रेलवे को कितना टैक्स(किराया)मिलना चाहिए, इसका हिसाब लगाया जा रहा है। हैरतअंगेज ये है कि ये कोयला रेलवे के अधिकारियों को कभी दिखाई नहीं दिया,बल्कि जब रेलवे की विजिलेंस टीम एक्टिव हुई तब कोयले का ढेर जब्त हुआ। यदि रेलवे के अधिकारियों को कोयले के मालिक का नाम पता नहीं था तो उन्होंने कभी पता करने या उच्चाधिकारियों को क्यों नहीं बताया।
पुराना हो चुका है ये काला खेल
रेल सूत्रों ने बताया कि जांच टीमों को ये पता चल चुका है कि कोयले का ये काला खेल बहुत पुराना हो चुका है। कंपनियों द्वारा इस साइडिंग से प्रयागराज, कानपुर एसईसीएन, एसीसी कैमूर के लिए कोयला डिस्पैच किया जाता है। अव्वल तो नियम तोड़कर कोयले का स्टॉक हुआ, दूसरे उन कंपनियों को लाभ दिया गया,जो कोयले का ट्रांसपोर्ट करती हैं तीसरा रेलवे को करोड़ों की चपत लगी। अब पूरे कोयले का मूल्यांकन कर दोषी कंपनियों पर पेनाल्टी भी लगाई जाएगी। वहीं लोडिंग साइड में स्टॉक करने का नियम तो यह है कि साइडिंग पर रैक इंडेंट मिलने के कुछ घंटे पूर्व स्थिति के अनुसार समय दिया जाता है, उसी समय अवधि में कोयले की मात्रा को साइडिंग में लाया जाना चाहिए, लेकिन कोयला परिवहनकर्ताओं ने रेलवे साइडिंग को कोल डम्पिंग यार्ड की तरह उपयोग किया।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved