नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत को बताया गया कि किसान नेता सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल 24 दिन से भूख हड़ताल पर हैं. उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई है. उन्हें उल्टियां हुईं, वे 10 मिनट तक बेहोश रहे. इस पर कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि 70 साल का एक शख्स भूख हड़ताल पर है, उन्हें मेडिकल एड क्यों नहीं दी जा रही है. सरकार ने बताया कि वे मेडिकल सहायता नहीं लेना चाहते. इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई. कहा-आप कह रहे हैं सब ठीक है, लेकिन उनकी तबीयत बिगड़ रही है. अगर वे मेडिकल एड नहीं लेना चाहते तो दूसरा विकल्प अपनाएं.
जस्टिस उज्जवल भुइयां ने चर्चित इरोम शर्मिला का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी भूख हड़ताल दस साल तक चली. उन्हें सारी सुविधाएं दी गईं. किसान नेता डल्लेवाल भी भूख हड़ताल जारी रख सकते हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रहना होगा. कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य के बारे में कुछ करें, वह एक जननेता हैं.
पंजाब एजी ने मेडिकल रिपोर्ट पढ़ी और बताया किसान नेता डल्लेवाल किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होने दे रहे हैं. इस पर जस्टिस कांत ने कहा, आपके अधिकारी चिकित्सा सहायता देने के बजाय डल्लेवाल को कोर्ट में घसीटने पर ज्यादा उत्सुक नजर आ रहे हैं. आपके अधिकारी उनके स्वास्थ्य के बारे में जो दावे कर रहे हैं, उस पर हम कैसे भरोसा करें? इस पर पंजाब के एजी ने कहा, तीन चार लोगों को समस्या है. हम उन्हें ट्रांसफर करना चाहते हैं, लेकिन वे विरोध कर रहे हैं. उन्होंने ट्रॉलियों से खुद को घेर रखा है, ताकि कोई वाहन न निकल पाए.
इस पर जस्टिस कांत ने कहा, हमें उनके खून इत्यादि के हुए मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट दिखाएं. किसी को भी हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए. आप ऐसा कह रहे हैं कि सब ठीक है. क्या आप चाहते हैं कि सिविल अधिकारी डॉक्टर बनकर काम करें? 70 साल से ज्यादा उम्र का शख्स जो 20 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठा है. कौन है ये डॉक्टर जो बिना टेस्ट के कहता है कि वो ठीक है? जब वे डॉक्टरी मदद नहीं ले रहे हैं तो दूसरे विकल्प अपनाएं. सुप्रीम कोर्ट कल शुक्रवार दोपहर 12:30 बजे इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा.
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