प्रकाशम (Prakasam)। पृथ्वी पर कई ऐसे राज हैं, जिन पर से अभी तक पर्दा नहीं हट पाया है. ऐसे ही अनबूझे सवालों को तलाशने में कई लोग जुटे हुए हैं. इनमें से एक सवाल है कि भारत में मेगाफौना (40 किलोग्राम से अधिक वजन वाले जानवर) क्यों विलुप्त हो गए? कई पुरातत्वविद (archaeologist) इस सवाल को खोजने में जुटे हुए हैं. हाल ही में इनके हाथ कुछ ऐसे जीवाश्म लगे हैं, जो इस सवाल का जवाब देने में मददगार साबित हो सकते हैं. पुरातत्वविदों की एक टीम को आंध्र प्रदेश में 41,000 साल पुराना एक शुतुरमुर्ग का घोंसला मिला, जो दुनिया में पाया गया सबसे पुराना घोंसला है.
घोंसले में 9 से 11 शुतुरमुर्ग के अंडों का घर
आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले से ये जीवाश्म मिले हैं, जो पुरातात्विक लिहाज से काफी अहम सबूत माने जा रहे हैं. वडोदरा स्थित एमएस विश्वविद्यालय के पुरातत्वविदों और जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के सहयोगियों ने मिलकर इस जीवाश्म को खोज निकाला है. अब लैब में इस पर रिसर्च कर जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाएगी. रिसर्च कर रहे लोगों का अनुमान है कि खोजे गया शुतुरमुर्ग के घोंसले में 9 से 11 शुतुरमुर्ग के अंडों का घर रहा होगा. वैसे बता दें कि सबसे पुराने शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके की खोज हिमालय के भारतीय हिस्से में शिवालिक पहाड़ियों से की गई थी. वे 20 लाख साल से भी अधिक पुराने हैं. भारत में भी शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके का सबसे पुराना साक्ष्य राजस्थान के कटोटी से खोजा गया था, जो कि 60,000 वर्ष पहले का है.
भारत में मेगाफौना क्यों विलुप्त हो गए?
आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि शुतुरमुर्ग का घोंसला 9 से 10 फीट चौड़ा होता है. एक घोंसले में एक बार में 30-40 अंडे रह सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह खोज घोंसला यह पता लगाने में महत्वपूर्ण है कि भारत में मेगाफौना (40 किलोग्राम से अधिक वजन वाले जानवर) क्यों विलुप्त हो गए? 1×1.5 मीटर के एक टुकड़े से शुतुरमुर्ग के अंडे के छिलके के लगभग 3,500 टुकड़ों की खोज न केवल दक्षिण भारत में शुतुरमुर्ग की उपस्थिति का पहला सबूत है, बल्कि यह पहली बार है कि 41,000 साल पुराने शुतुरमुर्ग के घोंसले का पुरातात्विक साक्ष्य भी मिला है.
क्या होते हैं मेगाफौना?
मेगाफौना शब्द का इस्तेमाल 40 किलोग्राम से अधिक वजन वाले जानवर के लिए आमतौर पर किया जाता है. इनमें घोड़े, हाथी, मवेशी और दरियाई घोड़े जैसे जानवरों को शामिल किया जाता है. इनमें से कुछ मेगाफ़ौना लगभग 40,000 साल पहले दुनिया के विभिन्न हिस्सों से विलुप्त हो गए थे. अब शोधकर्ता ये तलाश कर रहे हैं आखिर क्यों ज्यादातर मेगाफौना धरती से विलुप्त हो गए? अगर इन सवालों के जवाब मिल जाते हैं, तो इंसान के पृथ्वी पर सफर को भी अच्छे तरीके से समझा जा सकता है.
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