इंदौर। पेपर लीक के साथ तमाम परीक्षाओं में होने वाले घोटालों पर रोक नहीं लग पाती है। ताजा विवाद नीट यूजी परीक्षा के मामले में सामने आया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले में तीखे सवाल पूछे हैं और कहा कि प्रधानमंत्री इस इतने बड़े घोटाले पर चुप क्यों हैं? उन्होंने एनटीए के बनाए गए अध्यक्ष डॉ. प्रदीप जोशी पर भी कई सवाल खड़े किए, जो पूर्व में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। एक छात्र जो 12वीं फेल हो गया उसे 720 में से पूरे अंक देकर टॉपर बना डाला। वहीं चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर लिखी गई सिफारिशी चि_ी भी वायरल हो गई है, जो कि आरटीआई के जरिए हासिल की गई।
नीट-यूजी रिजल्ट को लेकर एनटीए चेयरमैन डॉ. प्रदीप जोशी, जिनका विवादों से पुराना नाता है एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्हें मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग का अध्यक्ष भी बनाया गया था और इसके लिए संघ के प्रचारक ने लिखित में सिफारिश भी की थी। डॉ. जोशी मध्यप्रदेश के बाद छत्तीसगढ़ और उसके बाद केन्द्रीय लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे और कुछ समय पूर्व एनटीए के चेयरमैन बनाए गए। लिहाजा उन पर आरोप है कि सही तरीके से परीक्षा कराने की जवाबदेही उनकी थी। लिहाजा जांच के दायरे में उन्हें भी लिया जाए। मगर केन्द्र सरकार ने इस मामले की जांच भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए को ही सौंप दी।
आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने डॉ. जोशी के लिए लिखी गई सिफारिशी चि_ी हासिल की और उसे मीडिया को भी दिया गया है। अग्रिबाण के पास भी यह चि_ी मौजूद है। श्री दुबे ने पूर्व में डॉ. जोशी की की गई नियुक्ति को हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी, जिस पर हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए कि आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति सीधे मुख्यमंत्री के जरिए न होकर एक कमेटी के जरिए होगी, जिसमें विपक्ष के सदस्य भी शामिल रहेंगे। लेकिन अब आपसी सहमति से सत्ता और विपक्ष के लोगमिलजुलकर अपनी पसंद के लोगों की नियुक्तियां करवा रहे हैं। इधर, दिग्विजय सिंह ने अपने बयान में इस नीट के घोटाले को गंभीर बताते हुए इसे मध्यप्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले का विकराल राष्ट्रीय स्वरूप बताया है। उन्होंने कई उदाहरण भी दिए, जिसमें कहा कि हरियाणा के झझ्झर स्थित एक परीक्षा केन्द्र के आठ छात्रों को 720 में से 720 अंक मिल गए। इनमें से एक छात्र तो ऐसा है जो 12वीं फेल था। उसे भी टॉपर्स की लिस्ट में शामिल कर डाला। उन्होंने पूरी परीक्षा को निरस्त कर नए सिरे से आयोजित करने और संसद में पारित नए कानून के तहत इस पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग प्रधानमंत्री से करते हुए दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि ग्रेस अंक पाने वाले 1563 छात्रों की 23 जून को पुन: परीक्षा कराने के आदेश दिए हैं। इससे उन छात्रों को लाभ नहीं होगा जो कोर्ट नहीं जा पाए।
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