नई दिल्ली। वैश्विक तौर पर अगर देखें तो इंटरनेट के मामले में भारत बाकी देशों के मुकाबले काफी पीछे है। कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के इस समय में बहुत से लोगों को इंटरनेट से जुड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। जिसमें सबसे बड़ी समस्या इंटरनेट की स्पीड को लेकर है। ऐसे में सरकार भी इंटरनेट की धीमी स्पीड से चिंतित है।
भारतमेें चार से पांच सालों में इंटरनेट की स्पीड में बढ़ोतरी देखी गई है लेकिन ये बढ़ोतरी उतनी नहीं है, जितनी होनी चाहिए। जहां ग्लोबल एवरेज डाउनलोड स्पीड मोबाइल ब्रॉडबैंड और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के लिए 34.67 Mbps और 78.26 Mbps है। वहीं ये भारत में 12.16 Mbps और 38 Mbps है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर स्पीड ट्रैकर ओकला (Okla) की जून की रिपोर्ट देखें तो भारत वैश्विक स्तर पर मोबाइल ब्रॉडबैंड स्पीड के मामले में 138 देशों में 129वें स्थान पर है। वहीं फिक्स्ड लाइन ब्रॉडबैंड के मामले में 174 देशों में 75वें स्थान पर है।
इसका मतलब ये हुआ कि भारत मोबाइल ब्रॉडबैंड के मामले में ग्लोबल स्पीड के मुकाबले एक तिहाई और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के मामले में आधे पर है। इंटरनेट की धीमी स्पीड को लेकर टेलिकॉम रेग्युलेटर TRAI भी विचार कर रहा है, जिसमें स्पीड को सब्सक्राइबर 50 Mbps तक पहुंचाने पर जोर दिया जा रहा है। आपको बता दें इससे पहले नैशनल डिजिटल कम्युनिकेशन पॉलिसी (एनडीसीपी), 2018 में भी 50 Mbps इंटरनेट स्पीड का जिक्र किया गया था। ऐसे में अगर देश में डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाना है, तो इंटरनेट की अधिक स्पीड सबसे अहम है।
इस बारे में दी गई टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्राई का कहना है कि इंटरनेट की स्पीड ही ब्रॉडबैंक कनेक्टिविटी में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छी ब्रॉडबैंक सेवा भी तभी उपलब्ध करवाई जा सकती है, जब इंटरनेट की स्पीड अच्छी हो। इसके साथ ही आज के समय में इंटरनेट की तेज स्पीड की मांग भी काफी बढ़ चुकी है। ये मांग महामारी के बाद और भी ज्यादा बढ़ने की संभावना है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved