नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैंकों ने कोविड-19 के कारण आर्थिक नरमी से प्रभावित सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिये 3 लाख करोड़ रुपये की आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज का वितरित किया है।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक 100 फीसदी ईसीएलजीएस के तहत सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बैंकों ने 18 अगस्त, 2020 तक 1.5 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के ऋण स्वीकृत किए हैं। इनमें से एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के ऋण वितरित किए जा चुके हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘ईसीएलजीएस’ की घोषणा ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ के हिस्से के रूप में की थी। इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर एमएसएमई को ऋण प्रदान करके ‘कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से उत्पन्न संकट को कम करना है। मंत्रालय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी 12 बैंकों, निजी क्षेत्रों के 24 बैंकों और 31 गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने कर्ज वितरित किये। बयान के अनुसार योजना के तहत 1,50,759.45 करोड़ रुपये के रिण स्वीकृत किये गये हें जिसमें 1,02,245.77 करोड़ रुपये 18 अगस्त तक बांटे जा चुके हैं.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 76,044.44 करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए हैं, जिनमें से 56,483.41 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए जा चुके हैं। इसी तरह निजी क्षेत्र के बैंकों ने 74,715.02 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए हैं, जिनमें से 45,762.36 करोड़ रुपये के ऋण पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। इस योजना के तहत शीर्ष ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक हैं।
सबसे ज्यादा कर्ज महाराष्ट्र के उद्यमों को मिला है। महाराष्ट्र की इकाइयों को 7,756 करोड़ रुपये के कर्ज मंजूर किये गये जिसमें से 18 अगस्त तक 6,007 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं। इसके बाद तमिलनाडू का नंबर रहा। यहां 7,740 करोड़ के कर्ज मंजूर किये गये और 5,693 करोड़ रुपये वितरित किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमों को 9.25 फीसदी की रियायती ब्याज दर पर गारंटी मुक्त कर्ज उपलब्ध कराया जा रहा है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 20 मई को इस योजना को मंजूरी दी थी।
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