गुड्डू से जुड़ा बैरागी राग…
मनोहर बैरागी और प्रेमचंद गुड्डू को लेकर भी एक अजब संयोग है। 2009 में जब कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्डू को उज्जैन से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया था, तब उन्होंने सबसे पहले बैरागी का ही हाथ थामा था। बैरागी ने इस संसदीय क्षेत्र के सारे कांग्रेसियों को गुड्डू के लिए लामबंद किया। सांसद बनने के कुछ ही महीने बाद बैरागी पराए हो गए। अब सांवेर में उपचुनाव होना है और कांग्रेस के टिकट पर गुड्डू का मैदान में आना तय है। यहां फिर बैरागी उनके संकटमोचक की भूमिका में हैं, क्योंकि प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें यहां का चुनाव प्रभारी बना दिया है। अब देखते हैं नतीजे के बाद बैरागी की स्थिति क्या रहती है।
पदोन्नति का मुहूर्त
राज्य पुलिस सेवा से भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति के लिए बैठक का मुहूर्त आखिर निकल ही गया। अब सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो यह बैठक 25 अगस्त को दिल्ली में होगी और राज्य पुलिस सेवा के 24 में से आठ अफसर भारतीय पुलिस सेवा के लिए चयनित हो जाएंगे। दरअसल संघ लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार के बीच तालमेल न जमने के कारण अब तक बैठक टलती गई। मुख्य सचिव चाहते थे कि कोरोना संक्रमण के दौर में बैठक ऑनलाइन हो जाए, लेकिन यूपीएससी इसके लिए तैयार नहीं थी। आखिरकार मुख्य सचिव को यूपीएससी की बात ही मानना पड़ी।
जो चुभते थे आंखों में वो बने आंख के तारे
ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे, तब भले ही कैलाशजी वहां नहीं थे, लेकिन अपनी पहली ही यात्रा में सिंधिया विजयवर्गीय परिवार के प्रिय पात्र तो बन गए। उन्होंने जो तार इस परिवार से जोड़े उसकी झंकार आने वाले समय में सुनने को मिलेगी। सिंधिया का विजयवर्गीय परिवार के साथ जो वीडियो वायरल हुआ है उससे तो भविष्य के सुखद संकेत मिल रहे हैं। अब यदि सिंधिया विजयवर्गीय को पहचान पाए तो प्रदेश में एक नया राजनीतिक सूत्रपात हो सकता है।
चाणक्य का दांव
सांवेर उपचुनाव में एक-एक वोट पर भाजपा की पैनी नजर है। इस विधानसभा क्षेत्र के 27 गांवों में ब्राह्मण समाज के 15000 वोट हैं और इन्हें साधकर राह आसान की जा सकती है। चुनाव प्रभारी रमेश मेंदोला ने इसकी जिम्मेदारी सौंपी अपने खास सिपहसालार आनंद पुरोहित को। सबको साधने में माहिर आनंद दिनेश शर्मा और चंद्रमोहन दुबे के साथ एक मजबूत टीम लेकर मैदान में उतर गए। घुसपैठ कितनी तगड़ी हो रही है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेंदोला इस टीम को लेकर मांगलिया के कट्टर कांग्रेसी ब्राह्मण नेता संदीप शर्मा के यहां पहुंच गए और उनसे मदद का आश्वासन लेने के बाद ही वापस लौटे।
कमलनाथ का किला
प्रदेश में 15 महीने कांग्रेस की सरकार रहने का पूरा फायदा जहां नरेंद्र सलूजा को मिला, वहीं केके मिश्रा अछूते रहे…लेकिन पार्टी के सरकार से बाहर होने के बाद यह दोनों नेता ही सबसे ज्यादा किला लड़ा रहे हैं। ग्वालियर में मिश्रा और भोपाल व इंदौर में जिस तरह सलूजा ने कांग्रेस और कमलनाथ के लिए मोर्चा संभाल रखा है और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व ज्योतिरादित्य सिंधिया को आड़े हाथों लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं, उसकी बड़ी चर्चा है। मिश्रा द्वारा खोजे गए शब्द श्रीअंत को अब एक जुमले के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है।
मजमा लूट लिया चिंटू ने
जब चिंटू चौकसे ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को काले झंडे दिखाने की घोषणा की तो विनय बाकलीवाल ने पल्ला झाड़ लिया था और ऐसा दर्शाया था मानो शहर कांग्रेस का इससे कोई वास्ता ही नहीं है। चिंटू राजू भदौरिया को लेकर आखिरी तक खड़े रहे और गिरफ्तारी भी दे डाली। विनय को मामला देरी से समझ आया। वह जब तक मौके पर पहुंचे तब तक मजमा जमा कर माहौल चिंटू लूट चुके थे। चिंटू के जेल से रिहा होने के बाद जब मामला कमलनाथ तक पहुंचा तो न केवल उनकी पीठ थपथपाई गई, बल्कि इसी शैली में मैदान संभालने की जरूरत बताई।
जो तवज्जो कांग्रेस में नहीं थी वो भाजपा में मिली टंडन को
रामबाग स्थित अर्चना कार्यालय और जावरा कंपाउंड के भाजपा दफ्तर में जिस तरह से प्रमोद टंडन की आवाजाही बढ़ी है उसने कई को चौंका रखा है। दोनों जगह उन्हें खासी तवज्जो मिल रही है। भाजपा के नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे तो टंडन को वही सम्मान दे रहे हैं, जो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दिया जाता। पद के मोह से दूर टंडन भी अपने राजनीतिक अनुभव से रणदिवे को वाकिफ करवाने में पीछे नहीं रह रहे हैं। शहर कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए टंडन ने 85 वार्डों में जो नेटवर्क बनाया उसका फायदा अब वह भाजपा को दिलवाने में लगे हैं।
और अंत में… टीआई, नोट और कोरोना
लेन-देन में माहिर , इन्दौर के पूर्वी क्षेत्र के एक टीआई की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है…चर्चा है कि मातहतों द्वारा समझाने के बावजूद टीआई सहाब रुपयों के लेन-देन के बाद नोटों को सेनिटाइज करके नहीं रखते थे, जिसके चलते उन्हें संक्रमण का शिकार होना पड़ा। खैर, अब इस घटना के बाद महकमे के दूसरे लोग जरूर सतर्क हो गए हैं।
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