नई दिल्ली। देश के हर चार में से एक शख्स के भीतर कोरोना से लड़ने वाली ऐंटीबॉडीज हो सकती हैं। एक नैशनल-लेवल प्राइवेट लैबोरेटरी के कोविड-19 टेस्ट्स के आधार पर यह बात निकलकर सामने आई है। शहरों में कई सिविल कॉर्पोरेशंस और देश के कुछ प्रमुख रिसर्च संस्थानों के सर्वेक्षणों के नतीजे और उम्मीद जगाते हैं। सोमवार को पुणे के कुछ इलाकों में 50% से ज्यादा सीरो-पॉजिटिविटी होने की बात सामने आई थी। इसके अलावा मुंबई के स्लमों में भी 57% पॉजिटिविटी देखने को मिली। दिल्ली का पहला सीरो सर्वे बताता है कि टेस्ट हुए लोगों में से 23% सीरो-पॉजिटिव थे। वहां दूसरे सीरो सर्वे के नतीजे इस हफ्ते आएंगे।
शरीर में ऐंटीबॉडीज मिलने का मतलब है कि उस शख्स को कोरोना से इम्युनिटी हासिल हो चुकी है। मगर यह इम्युनिटी कितने वक्त के लिए है, इस पर अभी एक्सपर्ट्स की एक राय नहीं है। जब एक सीमा से ज्यदा लोगों में ऐंटीबॉडीज मिलती हैं तो इससे नोवेल कोरोना वायरस के प्रति हर्ड इम्युनिटी डेवलप हो सकती है। महाराष्ट्र कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी ने कहा, “भारत इकलौता ऐसा देश है जहां के कुछ इलाकें इतनी ज्यादा सीरो-पॉजिटिविटी दिखा रहे हैं। साफ है कि भारतीयों की इम्युनिटी ज्यादा मजबूत है।”
दिल्ली में 29% लोग सीरो-पॉजिटिव
देशभर में थायरोकेयर लैबोरेटरी की तरफ से किए गए ऐंटीबॉडी टेस्ट्स में पता चला कि लोकल लेवल पर पॉजिटिविटी ज्यादा है। लैब के मैनेजिंग डायरेक्टर अरोकियास्वामी वेलुमणि ने कहा कि भारत में अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों का टेस्ट हुआ है। इनमें से करीब 24% में कोविड-19 के प्रति ऐंटीबॉडीज मिली हैं। दिल्ली में यह आंकड़ा 29% रहा जबकि महाराष्ट्र में 27% लोग वायरस के प्रति एक्सपोज हुए। ठाणे का हर तीसरा शख्स सीरो पॉजिटिव मिला जबकि नवी मुंबई में यह दर 21% रही।
भारतीयों के भीतर इम्युनिटी क्यों ज्यादा?
थायरोकेयर का डेटा दिखाता है कि मुंबई के भीतर विले पार्ले (ईस्ट) में सबसे ज्यादा सीरो-पॉजिटिविटी (42.97%) देखने को मिले। इसके बाद वर्ली (41.94%) और डोंगरी (39.41%) का नंबर रहा। सेंट्रल मुंबई के एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि भारतीयों में इतनी ज्यादा इम्युनिटी की वजह हाइजीन हाइपोथीसिस में छिपी हो सकती है। उन्होंने कहा, “हम भारतीय इतने सारे माइक्रोऑर्गनिज्म्स से एक्सपोज होते हैं कि हमारा इम्युनिटी रेस्पांस बेहतर है।”
मुंबई के ही एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ जोशी ने कहा कि इम्युन रेस्पांस से भारत में कोविड कर्व के बारे में काफी कुछ पता चलता है। उन्होंने कहा, “ट्रेंड दिखाता है कि हमारे यहां बीमारी अधिकतर एसिम्टोमेटिक है। भारत में रिकवरी रेट भी बेहतर है और पश्चिमी देशों के मुकाबले फैटलिटी रेट (मृत्यु-दर) कम है।” उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और अन्य बीमारियों वाले मरीजों को छोड़ दें तो भारत की स्थिति बेहतर दिखती है।
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