नई दिल्ली । भारतीय रेलवे के पुणे डिवीजन ने प्लेटफार्म टिकट का मूल्य 50 रुपये कर दिया है। इस कदम से रेलवे विपक्षी राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गया है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोगों ने जमकर भड़ास निकाली है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी.के. यादव ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट किराया बढ़ाने का निर्णय स्थानीय स्तर पर लेने के लिए मंडल रेल प्रबंधकों को निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के बाद इस निर्णय की समीक्षा की जाएगी।
भारतीय रेलवे ने स्पष्ट किया कि पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफ़ॉर्म टिकटों की कीमत में वृद्धि लोगों को अनावश्यक रूप से प्लेटफार्मों पर आने से रोकने के लिए की गई है और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोविड -19 संकट के बीच सामाजिक दूरी का पालन किया जाए।
रेलवे का यह स्पष्टीकरण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया के बाद आया है। उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस राज में रेलवे प्लेटफ़ॉर्म टिकिट तीन रुपये का था जबकि भाजपा राज में यह 50 रुपये का हो गया। उन्होंने रेलवे के निजीकरण को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने दो प्लेटफार्म टिकट भी साझा किये हैं। इनमें एक टिकट दिसम्बर 2014 का है जिसका मूल्य 3 रुपये है जबकि दूसरा टिकट महाराष्ट्र के पुणे के अगस्त 2020 का जिसकी कीमत 50 रुपये है।
रेलवे के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफार्म टिकट का मूल्य ₹50 रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है जिस से सोशल डिसटेनसिंग का पालन किया जा सके। रेलवे प्लेटफार्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है।
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