भोपाल। प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही राज्य के अलग-अलग हिस्सों को जोडऩे वाले एक्सप्रेस-वे की फाइलें तेज से दौडऩे लगी है। चंबल प्रोगे्रस-वे के बाद नर्मदा एक्सप्रेस-वे अब फिर भोपाल-इंदौर सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे की फाइल भी दौडऩे लगी है। कमलनाथ सरकार ने भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे फाइल को यह कहकर बंद कर दिया था कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। यह सिर्फ समय, भूमि और पैसे की बर्बादी होगी। अब शिवराज सरकार ने दो साल से धूल खा रहा भोपाल-इंदौर कंट्रोल्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे पर फिर से काम शुरू कर दिया है। 5029 करोड़ रु. के इस प्रोजेक्ट को पुराने ही अलाइनमेंट पर बनाने का विचार है।
इंदौर-भोपाल सिक्सलेन प्रोजेक्ट
यह 146.88 किमी लंबा होगा। इसमें 119.9 किमी एक्सेस कंट्रोल्ड रखने की बात है। भोपाल के बड़झिरी से देवास के करनावद तक इसे बनाना है, जो भोपाल, रायसेन, सीहोर और देवास के 124 गांवों से गुजरेगा। कुल 1253 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इसमें सरकारी जमीन 35 हेक्टेयर और वन भूमि 158 हेक्टेयर है। कॉरिडोर में जमीन अधिग्रहण के लिए 500 से 600 करोड़ रुपए लग सकते हैं, इसलिए सरकार सबसे पहले उपयोगी मॉडल का चयन करेगी, जिससे कम से कम पैसे में कॉरिडोर तैयार हो। जल्द ही इसको लेकर बैठक होने वाली है।
चंबल प्रोग्रेस
राज्य सरकार ने इसका नाम अटल प्रोगे्रेस-वे के नाम पर कर दिया है।
यह खतौली से श्योपुर और मुरैना होते हुए भिंड तक कुल 309 किमी लंबा होगा। 2000 एकड़ जमीन विकसित की जाएगी। लागत 6193 करोड़ रहेगी।
नर्मदा एक्सप्रेस-वे
1265 किमी लंबा होगा, प्राथमिक सर्वे हुआ, 29 शहर-कस्बे जुड़ेंगे। इस प्रोजेक्ट के लिए जल्द बैठक हो सकती है। अमरकंटक से शुरू होकर अंकलेश्वर (गुजरात) तक बनेगा। हरदा-खंडवा के 112 किमी में धार्मिक स्थलों, औद्योगिक इकाइयों व प्रसिद्ध स्थलों को जोड़ेगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved