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    कन्या पूजन से शुरू होंगे सरकारी कार्यक्रम

  • August 16, 2020

    • मुख्यमंत्री का ऐलान नए सिरे से शुरू होगा बेटी बचाओ अभियान
    • साहूकारों के चंगुल से मुक्त होंगे गरीब, आदिवासी

    भोपाल। प्रदेश में अब सरकारी कार्यक्रमों में नई व्यवस्था शुरू होने जा रही है। अब हर सरकारी कार्यक्रम का शुभारंभ कन्यापूजन के साथ होगा। इस तरह की व्यवस्था शुरू करने वाला मप्र देश का पहला राज्य होगा। बेटी बचाओ अभियान नए सिरे से शुरू होगा। आदिवासियों एवं गरीबों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराने का अभियान चलेगा। नियमों के विपरीत 15 अगस्त 2020 तक दिए गए ऋण शून्य होंगे। इसके लिए आवश्यक कानून लाया जाएगा। एक जिला एक उत्पाद के सिद्धांत पर होगी जिलों की ब्रांडिंग होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राजधानी में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में प्रदेश केा संबोधित करते हुए यह ऐलान किया।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के सम्मान में भोपाल में निर्मित शौर्य स्मारक में आज भारतमाता की प्रतिमा स्थापित हुई है। यह सभी को राष्ट्र प्रेम, शौर्य और साहस की प्रेरणा देगी। प्रत्येक नागरिक को भोपाल के शौर्य स्मारक में स्थापित इस प्रतिमा के दर्शन करना चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने शहीद सैनिकों के परिवार को एक करोड़ रुपये की राशि, परिवार के एक सदस्य को शासकीय सेवा और भूखंड प्रदान करने का निर्णय लेकर बलिदानियों के प्रति सम्मान का भाव प्रदर्शित किया है।

    मुख्यमंत्री की प्रमुख घोषणाएं

    • नि:शुल्क शुल्क खाद्यान्न प्रदाय का महाअभियान आरंभ होगा।
    • मेधावी विद्यार्थी योजना तथा सभी विद्यार्थियों के लिए नि: शुल्क पढ़ाई की व्यवस्था।
    • मेधावी विद्यार्थियों को वितरित होंगे लैपटॉप।
    • प्रदेश में प्रारंभ होंगे सर्व-सुविधायुक्त और गुणवत्तापूर्ण ‘सीएम राइज स्कूल
    • महिला स्व-सहायता समूहों को इस वर्ष 1300 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण 4 प्रतिशत ब्याज दर पर दिया जाएगा।
    • पुलिस कर्मियों के लिए भोपाल में बनेगा 50 बिस्तरीय सर्व-सुविधायुक्त अस्पताल।
    • 2023 तक 1 करोड़ नल कनेक्शन का लक्ष्य। हर घर तक नल के माध्यम से जल।
    • सभी नागरिक सुविधाएँ ऑनलाइन उपलब्ध करायी जाएंगी।
    • नर्मदा एक्सप्रेस-वे से नर्मदांचल में उद्योगों, ईको टूरिज्म और धार्मिक गतिविधियों को प्रोत्साहन।
    • नये उद्योगों की स्थापना में सरलता के लिए ‘स्टार्ट योर बिजनेस इन थर्टी डेज योजना प्रारंभ होगी।
    • प्रदेश के नागरिकों का ‘सिंगल सिटीजन डाटाबेस’ तैयार होगा।
    • ग्रामीण जनता को उनके आवासीय भूखंड पर मालिकाना हक दिया जाएगा।
    • कर्मचारियों को देय सभी लाभ दिए जाएंगे।
    • कोरोना काल की तरह आगे भी गरीबों के लिए सस्ती बिजली।

    प्रदेश में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण
    मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोविड की आपदा से निपटने के लिए सरकार ने समाज के सहयोग से आईआईटीटी.अर्थात् आईडेंटीफाई, आयसोलेट, टेस्ट एण्ड ट्रीट की रणनीति बनाकर उस पर अमल किया। प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अत्यावश्यक वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की गयी, वहीं दूसरी तरफ चिकित्सा सामग्री एवं अन्य आवश्यक उपकरण जैसे—दवाएँ, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर्स, टैस्टिंग लेबोरेटरी और टैस्टिंग किट्स आदि की पर्याप्त उपलब्धता रखी गयी। सरकार के प्रोत्साहन से कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक कई सामग्रियों का उत्पादन मध्यप्रदेश में ही प्रारंभ हुआ।

    प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष
    रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जीवन अमृत योजना आरंभ की गई। इसके अंतर्गत 3 करोड़ 80 लाख से भी अधिक व्यक्तियों को आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी जीवन-अमृत औषधियाँ तथा रोग-प्रतिरोधक काढ़ा नि:शुल्क वितरित किए जा चुके हैं।

    किल कोरोना एवं सहयोग से सुरक्षा अभियान
    प्रदेश में कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे के लिए एक जुलाई से 31 जुलाई, 2020 के मध्य चलाये गए किल कोरोना अभियान में घर-घर जाकर शत-प्रतिशत परिवारों का सर्वे किया गया। इसके बाद एक अगस्त से प्रारंभ किए गए दूसरे चरण में सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाने की अनिवार्यता के संबंध में जनजागरूकता के विस्तार का काम किया। आज से हम सहयोग से सुरक्षा अभियान प्रारंभ कर रहे हैं, जिसका मूल मंत्र 5 शब्द हैं-प्रमोट-अर्थात् सुरक्षा के उपायों को बढ़ावा देना, परपेच्यूएट-अर्थात् परिवर्तित व्यवहार को स्थायी बनाना, प्रोपोगेट-अर्थात् गलत एवं भ्रामक जानकारियों का खण्डन करना, पार्टिसिपेट-अर्थात् कोविड की रोकथाम में जन-सहयोग प्राप्त करना एवं प्रोटेक्ट-अर्थात् कोरोना संक्रमित को किसी भी भेदभाव से बचाना।

    प्रवासी श्रमिकों की प्रदेश वापसी
    मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संकट में सबसे बड़ी चुनौती प्रवासी श्रमिकों के आवागमन का प्रबंधन थी। इस दौरान लगभग 15 लाख श्रमिक एवं उनके परिवारजन प्रदेश लौटे तथा लगभग 5 लाख श्रमिक प्रदेश से गुजरकर अपने राज्यों में गए। हमारा संकल्प था कि मध्यप्रदेश की धरती पर कोई श्रमिक भूखा नहीं सोयेगा और कोई पैदल नहीं चलेगा। सरकार और समाज ने मिलकर इस संकल्प को पूरा किया।

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