नई दिल्ली । भारत ने चीन से आग्रह किया है कि वह पूर्वी लद्दाख में अग्रिम क्षेत्र से सैनिकों को पूरी तरह हटाने और तनाव कम करने के लिए उसके साथ ईमानदारी से मिलकर काम करे ताकि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति कायम हो सके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हम चाहते हैं कि सैनिकों को हटाने का काम जल्द से जल्द पूरा हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दोनों पक्षों की ओर से सम्मिलित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद पर वार्ता के लिए नियुक्त विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत में तय हुई सहमति को जमीनी स्तर पर लागू किया जाना चाहिए। यह एक पेचीदा प्रक्रिया है जिसके लिए जरूरी है कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा के अपने-अपने क्षेत्रों में नियमित सैन्य चौकियों पर सैन्य टुकड़ियों की पुनः तैनाती करें। यह स्वाभाविक है कि ऐसा दोनों पक्ष आपसी सहमति और एक-दूसरे की कार्रवाई को ध्यान में रखकर ही कर सकते हैं।
प्रवक्ता ने दोहराया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और सामान्य स्थिति व्यापक द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए जरूरी है। प्रवक्ता ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के हाल में दिए गए उस बयान का हवाला दिया कि सीमा की स्थिति और द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।
प्रवक्ता ने अपने उस पुराने बयान का हवाला दिया कि भारत-चीन के बीच अग्रिम मोर्चों से सैनिकों को हटाने के लिए व्यापक सहमति बनी है तथा इस दिशा में कुछ प्रगति भी हुई है। दोनों पक्षों के बीच वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों और सीमा संबंधित विचार-विनिमय और समन्वय प्रक्रिया (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत कई बैठकें हुई हैं। इनमें दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति को लागू करने तथा आगे कदम उठाए जाने पर विचार हुआ है। निकट भविष्य में ऐसी अन्य बैठकें भी हो सकती हैं। प्रवक्ता ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की कि सैनिकों को हटाने के काम में चीन की ओर से असहयोग के कारण गतिरोध कायम हो गया है।
इस बीच चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने शुक्रवार को चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ सीमा पर हालात के बारे में विचार-विमर्श किया। चीन में भारत के दूतावास ने ट्वीट कर जानकारी दी कि राजदूत विक्रम मिस्री ने आज केंद्रीय सैन्य आयोग के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सहयोग के कार्यालय के निदेशक मेजर जनरल सी गौवे से मुलाकात की और उन्हें पूर्वी लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश में सीमाओं पर भारत के रुख से अवगत कराया।
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