मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाया जाएगा। वह पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव के साथ बिहार चुनाव की रणनीति बनाएंगे। माना जा रहा है कि एक्टर सुशांत सिंह राजपूत केस का असर बिहार चुनाव पर पड़ेगा, यही वजह है कि बीजेपी ने इस मसले को मुद्दा बनाया है और देवेंद्र फडणवीस को मैदान में उतार दिया है।
भूपेंद्र यादव और देवेंद्र फडणवीस की जोड़ी महाराष्ट्र में बेहतर नतीजे लाने में सफल रही थी। महाराष्ट्र के बाद अब फडणवीस बिहार में बीजेपी को जिताने के लिए भूपेंद्र यादव काम करेंगे। फडणवीस अभी तक महाराष्ट्र तक ही सीमित रहे थे, लेकिन अब पहली बार उन्हें राज्य से बाहर जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गुरुवार को बीजेपी की कोर कमेटी बैठक में फडणवीस को बिहार चुनाव के लिए लगाए जाने का फैसला किया गया। इस बैठक में खुद फडणवीस शामिल थे। बताया जा रहा रहा है बिहार विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र यादव और देवेंद्र फडणवीस साथ मिलकर बीजेपी की जीत की रणनीति को अमलीजामा पहनाने का काम करेंगे।
सूत्र बताते हैं कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में महाराष्ट्र और बिहार पुलिस के बीच चल रही तनातनी के बाद देवेंद्र फड़नवीस को चुनाव में लगाया गया है। भाजपा का मानना है कि अभिनेता के असामयिक निधन की जांच आगामी चुनावों में एक प्रमुख बनेगा। बिहार के क्षेत्रीय दल पहले से ही सुशांत को ‘बिहारी गौरव’ बताकर जांच की मांग कर रहे हैं। बढते दबाव को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशांत मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की हैं, जिसे रिया चक्रवर्ती ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
2014 और 2019 के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने वाले देवेंद्र फड़नवीस के लिए राष्ट्रीय मंच पर यह पहली बड़ी जिम्मेदारी होगी। 2019 में राज्य का नेतृत्व करने का उनका दूसरा प्रयास केवल तीन दिनों तक चला, इससे पहले कि वह इस्तीफा देने के लिए मजबूर थे।
दिलचस्प बात यह है कि फडणवीस महाराष्ट्र के चौथे नेता हैं, जो बिहार राजनीति में उतरेंगे। इससे पहले मधु लिमये, जॉर्ज फर्नांडिस और मुकुल वासनिक जैसे नेताओं ने बिहार चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र विधानसभा में नागपुर दक्षिण पश्चिम से विधायक हैं। वे नागपुर नगर निगम के मेयर भी रह चुके हैं। राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। हालांकि, उन्होंने विधान परिषद सदस्य रहे अपने पिता गंगाधर राव से अलग पहचान बनाई है। छात्र जीवन में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। राजनीति में उन्होंने जमीनी स्तर से उठकर पहचान बनाई है।
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