मुंबई। दुनिया के चौथे और भारत के इकलौते सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी एक फैमिली काउंसिल बना रहे हैं। मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि ये इसलिए किया जा रहा है ताकि रिलायंस के बिजनेस अंपायर के लिए उत्तराधिकारी तय किया जा सके। इस काउंसिल में परिवार के सभी सदस्यों को बराबर का प्रतिनिधित्व मिलेगा, जिसमें अंबानी के बेटे आकाश अंबानी, अनंत अंबानी और बेटी ईशा अंबानी भी शामिल होंगी।
आने वाले समय में रिलायंस इंडस्ट्रीज की कमान मुकेश अंबानी के बच्चों के हाथ में होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया कि अगले साल के अंत तक मुकेश अंबानी अपने बिजनेस अंपायर का उत्तराधिकारी तय कर लेंगे। ये फैमिली काउंसिल बनाना भी उत्तराधिकारी तय करने का ही एक हिस्सा है। इस काउंसिल में परिवार का एक वयस्क यानी एडल्ट, तीनों बच्चे और संभावित बाहरी सदस्य जो मेंटर और एडवाइजर की तरह काम करेंगे, वह शामिल होंगे।
यह काउंसिल रिलायंस में कोई भी फैसला लेने में एक अहम भूमिका निभाएगी। काउंसिल के जरिए परिवार से लेकर बिजनेस तक से जुड़े अहम फैसले लिए जाएंगे। इस काउंसिल को बनाने के पीछे मुकेश अंबानी का मकसद है कि उनके परिवार को रिलायंस की 80 अरब डॉलर की संपत्ति को लेकर साफ तस्वीर दिखे ताकि आगे जाकर बंटवारे में कोई विवाद ना हो। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच जितना विवाद हुआ था, उसे देखते हुए मुकेश अंबानी काफी सतर्कता बरतते हुए चल रहे हैं।
धीरू भाई अंबानी के नेतृत्व में 80 और 90 का दशक रिलायंस के लिए काफी शानदार रहा, लेकिन 2002 में धीरू भाई अंबानी के मौत के बाद सब कुछ बिगड़ने लगा। दोनों भाइयों में विवाद हो गया और बिजनेस बांटना पड़ा। अनिल अंबानी के हिस्से में आए कम्युनिकेशन, पावर, कैपिटल का बिजनेस, जबकि मुकेश अंबानी को मिला रिलायंस इंडस्ट्रीज का बिजनेस।
धीरू भाई अंबानी की मौत के बाद दोनों बच्चों में जो विवाद पैदा हुआ था, उसे निपटाने के लिए खुद उनकी मां को बीच में पड़ने की जरूरत पड़ गई थी। 2004 में उनका विवाद खुलकर सामने आ गया था, जिसके बाद उनकी मां कोकिला बेन ने कंपनी को दो हिस्सों में बांट कर दोनों बेटों को दे दिया। यहां तक कि इस बंटवार में आईसीआईसीआई बैंक के तत्कालीन चेयरमैन कामत को भी बुलाना पड़ा था। दोनों भाइयों के बीच विवाद करीब 4 सालों तक चलता रहा था।
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