भोपाल। शिवराज सरकार के 20-50 फॉर्मूले के आधार पर कर्मचारियों को रिटायर करने का विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठन उठ खड़े हुए हैं। उन्होंने मांग की है कि कर्मचारियों को रिटायर करने से पहले सरकार को स्वास्थ्य के आधार पर सांसद, मंत्रियों और विधायकों को रिटायर करना चाहिए। मध्य प्रदेश संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने सरकार के उस निर्णय का विरोध किया है, जिसके तहत स्वास्थ्य और काम के आधार पर कर्मचारियों को रिटायर करने का आदेश जारी किया गया है। रमेश राठौर ने कहा, सरकार सबसे पहले सांसदों, मंत्रियों, विधायकों का स्वास्थ्य चेक कराए। उनके काम का आकलन करें। सांसद, विधायक और मंत्री भी सरकार का अंग हैं। यदि उनका स्वास्थ्य खराब है और सरकारी पैसे से इलाज करा रहे हैं तो वो भी जनप्रतिनिधि बनने के अयोग्य हैं। उन्हें भी तत्काल हटाया जाए। शासकीय कर्मचारी का तो शासकीय कार्य के बोझ से स्वास्थ्य खराब होता है। सरकार नई भर्ती नहीं कर रही है। एक-एक कर्मचारी पर चार-चार लोगों के काम का बोझ डाल रखा है। इसलिए सरकारी कर्मचारी का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।
आदेश निरस्त करने की मांग
संविदा कर्मचारी अधिकारी कर्मचारी महासंघ ने मुख्यमंत्री से इस आदेश को निरस्त करने की मांग की है। उसने कहा यदि स्वास्थ्य के आधार पर किसी कर्मचारी को हटाया जाए तो फिर उसकी जगह उसके परिवार के किसी आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
फॉर्मूले पर सख्त हुई सरकार
शिवराज सरकार कोरोना महामारी के दौरान बिगड़ी राज्य की वित्तीय व्यवस्था के बाद कर्मचारियों से जुड़े 20-50 के फॉर्मूले पर सख्त नजऱ आ रही है। सीआर का नंबर गणित भी विभाग ने बदला है। बदले हुए गणित के हिसाब से कर्मचारी के नौकरी ज्वॉइन करने से लेकर 20 साल तक के उसके सीआर के अंक जोड़कर ही उसके कामकाज यानि परफॉर्मेंस का आंकलन होगा। यदि 50 से कम अंक आए तो कर्मचारी की नौकरी खतरे में होगी।सीआर में 50 या उससे ऊपर नंबर लाने वाले सभी कर्मचारी सुरक्षित रहेंगे। कर्मचारियों के लिए बस राहत की बात ये है कि अभी तक 3 साल की सीआर के आधार पर परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इसे बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है।यानि 20 साल की ष्टक्र के आधार पर परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
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