उज्जैन। शाही सवारी 17 अगस्त को शहर में निकलेगी और उसका मार्ग परम्परागत करने की मांग पिछले दिनों क्राईसेस मैनेजमेंट की बैठक में उठी थी और अभी भी तय नहीं है कि शाही सवारी नृसिंहघाट से निकलेगी या फिर ढाबा रोड और गोपाल मंदिर से। अधिकारियों ने अग्रिबाण बताया कि यदि मार्ग बदला गया तो काफी झंझट हो सकती है और लोगों को रोकना मुश्किल होगा।
भगवान महाकाल की 17 अगस्त को निकलने जा रही शाही सवारी जनप्रतिनिधियों की माँग के मुताबिक जिस मार्ग से निकलना है उसे फायनल करने से पहले कल दिनभर रास्तों का सर्वे चलता रहा। इसमें पाया गया कि मार्ग में 59 गलियाँ हैं तथा 2 हजार घरों के साथ-साथ 1500 के लगभग दुकानें भी हैं। कोरोना महामारी के कारण भगवान महाकाल की सावन और भादौ मास में निकलने वाली सभी 6 सवारियाँ अब तक परिवर्तित मार्ग से निकली हैं। छठी सवारी के दौरान ही जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक बुलाई गई थी जिसमें सांसद, मंत्री और विधायकों ने 17 अगस्त को शाही सवारी परंपरागत मार्ग के कुछ हिस्से से निकालने के लिए प्रशासन को कहा था। कल दोपहर में इस पर फैसला आने की उम्मीद थी लेकिन अधिकारिक सूत्रों के अनुसार निर्णय से पहले कल दिनभर कलेक्टर ने अधिनस्थों की टीम भेजकर दानीगेट से ढाबा रोड, कमरी मार्ग चौराहा, गोपाल मंदिर के सामने से लेकर पटनी बाजार और गुदरी चौराहा से महाकाल घाटी होकर मंदिर तक का सर्वे कराया।
सर्वे में यह बात सामने आई कि अगर जनप्रतिनिधियों की माँग के अनुरूप शाही सवारी निकाली गई तो दानीगेट से लेकर ढाबा रोड, गोपाल मंदिर तक तथा यहाँ से गुदरी और महाकाल मंदिर के बीच कुल 59 गलियाँ मिलती हैं। सवारी निकलती है तो इन गलियों से लोगों के प्रवेश को रोकना बड़ी चुनौती रहेगा। इसके अलावा पूरे मार्ग में लगभग 2 हजार मकान है। इनमें से ज्यादातर मकान गैलरी के साथ-साथ छतों वाले भी हैं। इतना ही नहीं रास्ते में डेढ़ हजार के लगभग दुकानें भी है। जहाँ शाही सवारी वाले दिन लोग किसी न किसी जरिये पहुँचेंगे तथा एक दुकान या मकान पर कम से कम एक 15 से 20 लोग जुटेंगे। ऐसे में परिवर्तित मार्ग की बजाय जनप्रतिनिधियों द्वारा सुझाए गए मार्ग से सवारी निकाली गई तो हजारों लोग मार्ग में इक_े होना स्वाभाविक है। मौजूदा परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण तेजी से फेल रहा है। ऐसे में अगर इस दौरान दहाई तक की संख्या में भी लोग संक्रमित हुए तो आगे स्थिति और बिगड़ सकती है। इसी बात की चिंता पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को हो रही है। कल सर्वे के बाद यह चिंता और बढ़ गई है। इस बात पर फैसला अब 14 सितम्बर तक ही हो पाएगा।
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