प्रदेश में अब 19 जनपद बाढ़ की जद में आ गए हैं। राहत आयुक्त संजय गोयल के मुताबिक इनमें अंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, महराजगंज, मऊ, पीलीभीत, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर तथा सीतापुर हैं। इन जनपदों के 582 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 303 गांव जलमग्न हैं।
राहत आयुक्त ने बताया कि प्रदेश में अब तक 300 बाढ़ शरणालयों की स्थापना की गई है। वर्तमान समय में तीन जनपदों के 14 शरणालयों में लगभग 796 लोग रह रहे हैं। विगत चौबीस घंटों में 4,304 खाद्यान्न किटों का वितरण प्रभावित परिवारों को किया गया है। अब तक प्रभावित परिवारों को 44,760 किटों का वितरण किया जा चुका है।
प्रभावित परिवारों को अब तक प्रदेश में 1,83,874 मीटर तिरपाल का वितरण किया जा चुका है। वर्तमान समय में 922 नावें प्रयोग में लाई जा रही हैं साथ ही 715 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं, जिनके माध्यम से बाढ़ राहत कार्य किया जा रहा है साथ ही विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित किया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सा की सुविधाओं के लिए अभी तक 262 मेडिकल टीमों को लगाया गया है।
पशुओं के लिए प्रदेश में अब तक 195 पशु शिविर स्थापित किए गए हैं। इन्हीं के माध्यम से 6,13,699 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। पशुओं के लिए चारे आदि की कोई समस्या न उत्पन्न हो इसलिए प्रदेश में अब तक 14,36 कुंतल भूसे का वितरण किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बाढ़ की स्थिति के संबंध में समीक्षा बैठक की। उनके द्वारा जो भी निर्देश दिए गए हैं, उनका सिंचाई विभाग व राजस्व विभाग द्वारा पालन किया जा रहा है।
राहत आयुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया है कि बाढ़ शरणालयों में सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं व कोरोना के दृष्टिगत दो गज की दूरी का पालन सुनिश्चित कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि वहां पर रह रहे लोगों की मेडिकल जांच भी करवाई जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि ऊपरी क्षेत्रों के विभिन्न जलाशयों तथा बांधों से पानी छोड़े जाने की सूचना प्राप्त होती है उसकी निरंतर निगरानी की जाए। ताकि उसी के अनुसार हमारे जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं, उनमें बाढ़ से बचाव हेतु समस्त तैयारियां पूर्व से ही सुनिश्चित कर ली जाएं।
राहत आयुक्त के मुताबिक वर्तमान में बाढ़ से सम्बंधित किसी भी प्रकार की चिंताजनक परिस्थिति प्रदेश में नहीं परिलक्षित हो रही है। इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही और राहत कार्य किया जा रहा है।
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