इंदौर। अभी कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलें बंद हैं, वहीं प्रवेश की प्रक्रिया भी ठप ही पड़ी है। हर साल शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को प्रवेश नए शिक्षण सत्र में दिलवाया जाता है। इस बार भी जिले के 1900 निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित रखी गई है, जिनकी संख्या लगभग 23 हजार होती है। अब प्रवेश की प्रक्रिया शासन के मिलने वाले आदेशों के तहत आने वाले दिनों में शुरू की जाएगी।
वैसे भी हर साल निजी स्कूलों में जितनी आरक्षित रखी जाती है उतनी सीटें भरती ही नहीं है और आधी से ज्यादा खाली रह जाती है, क्योंकि अधिकांश गरीब बच्चों के पालकों की इच्छा रहती है कि उनके बच्चों का एडमिशन शहर के महंगे और प्रमुख स्कूलों में हो, जिसके चलते बड़े स्कूलों में तो निर्धारित सभी सीटें भर जाती है, बल्कि लॉटरी के जरिए चयन करना पड़ता है, लेकिन अन्य स्कूलों में खाली रह जाती है। अभी कोरोना संक्रमण के चलते वैसे भी सभी निजी-सरकारी स्कूल बंद है और प्रवेश की प्रक्रिया भी ठप पड़ी है। अभी एक बार फिर संक्रमण बढ़ गया, जिसके चलते उम्मीद नहीं है कि अगले महीने भी स्कूल खुल सकेंगे। इस संबंध में शासन निर्णय लेगा। इंदौर 1900 स्कूलों में 25 प्रतिशत के मान से 23 हजार सीटें गरीब बच्चों के लिए रखी गई है।
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