उज्जैन। कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार की ओर से जिले में कुछ सरकारी अस्पतालों सहित प्रायवेट अस्पतालों को मरीजों के उपचार के लिए रेड अस्पताल में तब्दील किया है। यहाँ मरीजों का उपचार किया जा रहा है। कुछ लोग कोरोना का ईलाज निजी अस्पतालों में भी करा रहे हैं लेकिन वहाँ उन्हें इसके लिए 2 से 3 लाख तक खर्च करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिले में कोरोना संक्रमण की शुरुआत मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में हो गई थी। उसके बाद कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए सबसे पहले सरकारी माधव नगर अस्पताल को रेड अस्पताल में तब्दील किया गया था, वहीं हामूखेड़ी में भी संदिग्ध मरीजों को रखने तथा उपचार करने के लिए कोरोन्टाईन सेंटर बनाया गया था। इसके बाद आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को भी राज्य शासन ने कोरोना के ईलाज के लिए अधिकृत किया था। मई महीने में मरीजों की तादाद बढऩे पर देवास के अमलतास अस्पताल और इंदौर के अरविंदो अस्पताल को भी उज्जैन के मरीजों के ईलाज के लिए अनुबंधित किया गया था। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े जानकारों के मुताबिक इन अस्पतालों में कोरोना उपचार के लिए भर्ती मरीज की प्रारंभिक जाँच से लेकर उनके 14 दिन के उपचार के दौरान दवाई के अलावा खाने-पीने की व्यवस्था आदि पर लगभग एक लाख का खर्च आ रहा है। यह राशि शासन की ओर से ही खर्च की जा रही है। इसके विपरित अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से निजी अस्पतालों में कोरोना का उपचार कराने जा रहे हैं तो वहाँ उन्हें इसके लिए दो से तीन लाख तक की राशि खर्च करनी पड़ रही है। निजी अस्पतालों में कोरोना की प्रारंभिक जाँच के लिए ही साढ़े 4 हजार खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि उपचार के दौरान खाने पीने की व्यवस्था के लिए भी 10 से 15 हजार रुपए का निजी अस्पतालों में बिल बनाया जा रहा है। बाकी लक्षण के आधार पर मरीजों को दी जाने वाली दवा, इंजेक्शन से लेकर जरूरत पडऩे पर आक्सीजन के लिए भी मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में अभी तक कोरोना के कुल 1329 पॉजीटिव केस निकल चुके हैं। ऐसे में अगर प्रत्येक मरीज पर एक लाख खर्च के मान से भी आंकलन किया जाए तो यह राशि 13 करोड़ 29 लाख के लगभग पहँुच रही है।
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