– स्मार्त मतावलंबी 11 को पर्व मनाएंगे वैष्णवजन 12 को मनाएंगे जन्मोत्सव
– सूने रहेंगे मंदिर, नहीं मचेगी धूमधाम कल सुबह 9. 07 बजे से अष्टमी तिथि
इन्दौर। जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को मनाए जाने की परम्परा है लेकिन इस साल भी जन्माष्टमी की तारीख को लेकर दो मत हैं। पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी बताई गई है। वहीं ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है।
कोरोना के चलते प्रशासन शहर के मंदिरों को खोलने के संबंध में अब तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है शहर में जन्माष्टमी के अवसर पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंगे मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जबकि जगन्नाथ पुरी, काशी और उज्जैन तीर्थ में 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि 12 को स्वार्थ सिद्धि योग में जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा कई बार ग्रहों की चाल के चलते यह तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक नहीं हो पाते हैं 11 अगस्त को प्रात 9 बजकर 6 मिनट तक सप्तमी ही रहेंगी तत्पश्चात अष्टमी लगेगी और 12 को सुबह 11.15 मिनट तक रहेगी। उदया कालिन अष्टमी 12 को ही रहेगी ।
12 को ही रहेगा पूजा का श्रेष्ठ समय
12 अगस्त को स्वार्थ सिद्ध योग, वृषभ का चन्द्रमा और सूर्य उदय की जन्माष्टमी के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। जिसके कारण वृद्धि योग भी होगा। 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी। अधिकांश हिन्दू समाज में कोई भी पर्व उदया तिथि में ही मनाऐ जातें हैं ।
दो मत… दो दिन तक जन्माष्टमी का उल्लास
स्मार्त मतावलंबी एक दिन पहले और वैष्णवों के मतानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दूसरे दिन मनाई जाएगी। ध्यान रहे कि वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैष्णव वे लोग हैं, जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय में बतलाए गए नियमों के अनुसार विधिवत दीक्षा ली है। ये लोग अधिकतर अपने गले में कण्ठी माला पहनते हैं।
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