स्वामी ब्रह्मानंद स्वाभिमान सेवा संस्थान के जरिए संचालित ब्रह्मानंद एंबुलेंस सेवा मरीजों के लिए वरदान बनी हुई है। महज एक फोन पर एंबुलेंस की मुफ्त सेवा मरीजों को उनके दरवाजे पर मिल रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में अति पिछड़े राठ क्षेत्र के लोगों को मामूली बीमारियों के लिए भी सौ से डेढ़ सौ किमी दूर शहरों में उपचार के लिए जाना पड़ता है। इनमें से अधिकांश मरीजों को एंबुलेंस सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है। जिसका फायदा उठाते हुए प्राइवेट एंबुलेंस संचालक मरीजों से मनमानी पैसा वसूलते हैं। स्वामी ब्रह्मानंद स्वाभिमान सेवा संस्थान राठ के अध्यक्ष हरीचरन फौजी ने शुक्रवार को बताया कि समय पर वाहन न मिलने से अनेक मरीज उपचार के अभाव में असमय ही अपनी जान गंवा देते थे।
जिसे देखते हुए उन्होंने स्वामी ब्रह्मानंद एंबुलेंस सेवा की शुरुआत करने की ठानी। एंबुलेंस खरीदने के लिए धन की आवश्यकता थी। किंतु स्वामी जी के आशीर्वाद से यह कार्य भी जल्द ही संभव हो गया। चार दिसंबर 2019 को वह दिन भी आ गया जब स्वामी ब्रह्मानंद जी के जन्मोत्सव पर बीएनवी डिग्री कालेज स्थित उनकी समाधि स्थल से हजारों लोगों की मौजूदगी में इस एंबुलेंस सेवा का शुभारंभ हुआ। मात्र शक्ति नीलमणि राजपूत, उमा राजपूत, डॉ.कैलाश राजपूत और डॉ.संतोष राजपूत की मौजूदगी में एडीबी बैंक शाखा प्रबंधक मुहम्मद इकबाल एहसान ने हरी झंड़ी दिखाई। तभी से यह एंबुलेंस अनवरत सड़कों पर दौड़ते हुए लोगों की जान बचाने में जुटी हुई है।
213 मरीजों के साथ तय किया 60177 किमी सफर
दिन हो या रात, चौबीस घंटे सेवा देने वाली स्वामी ब्रह्मानंद एंबुलेंस 4 दिसंबर 2019 से 6 अगस्त 2020 तक मरीजों के साथ कुल 60177 किमी का सफर तय कर चुकी है। इन आठ माह में 213 मरीज एंबुलेंस सेवा का लाभ ले चुके हैं। हरीचरन फौजी बताते हैं कि जनपद के अंदर मरीजों को लाने ले जाने में किसी से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। जनपद से बाहर जाने वाले मरीजों से सहयोग के रूप में वाहन में लगने वाला डीजल मात्र लिया जा रहा है।
लॉकडाउन में निभाई अहम भूमिका
कोरोना संक्रमण के कारण लॉक डाउन होने पर प्राइवेट वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी। आवागमन के सभी साधनों पर रोक लगने से मरीज उपचार व दवाएं लाने के लिए तरस गए। ऐसे वक्त में ब्रह्मानंद एंबुलेंस सेवा मददगार बनकर सामने आई। मात्र एक फोन पर निःशुल्क एंबुलेंस सेवा तत्काल लोगों को उपलब्ध हुई। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए एंबुलेंस को दिन में कई बार सैनिटाइज किया गया। एक समय यह भी आ गया कि प्रशासन ने एंबुलेंस को सैनिटाइज कराने से हाथ खडे़ कर दिए थे। बावजूद इसके हरीचरन फौजी ने हौसला कायम रखते हुए एंबुलेंस को खुद सैनिटाइज करा संचालन जारी रखा।
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